तावडू, 17 जुलाई (दिनेश कुमार): गुरू के आदेशों से अपने में उत्तम गुणों का विकास होता है व चित्त शुद्धि होकर विवेक की वृद्धि होती है। वे भक्ति पथ पर लगा देते है। यर्थात में जो हमें आत्मस्थित बनाकर इ
भव सागर से पार उतार दे, वही सद्गुरू है। श्री साईंबाबा उसी कोटि के सद्गुरू थे। उनकी महानता अवर्णनीय है। साईं सच्चरित्र के माध्यम से यह विचार श्री सांई धाम मंदिर दरबार संचालिका सीमा रानी ने रखे। उन्होंने कहा कि गुरू के प्रति नत मस्तक होकर ही कृतज्ञता व्यक्त की जा सकती है। पूर्णिमा के चन्द्रमा की भांति जिसके जीवन में केवल प्रकाश है, वही तो अपने शिष्यों के अन्त:करण में ज्ञानरूपी चन्द्र की किरणें बिखेर सकता है। उन्होंने कहा कि हमें सदैव अपनी गुरू की आज्ञा का पालन करना चाहिए और उनके दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए। इस अवसर पर कविता रानी, उषा रानी, गीतारानी, प्रेम कुमारी, आशारानी आदि मौजूद थे।
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