तिरुवनंतपुरम, । राज्य में बढ़ते हुए दहेज उत्पीड़न के मामले को केरल सरकार ने दहेज निषेध नियमों में संशोधन किया है। साथ ही दहेज निषेध नियमों का कड़ाई से पालन हो उसके लिए केरल राज्य सरकार ने 'दहे
निषेध अधिकारी' नियुक्त किए हैं, जो केरल के सभी 14 जिलों में तैनात रहेंगे। केरल सरकार ने उठाया कठोर कदम दहेज उत्पीड़न के बढ़ते हुए मामले से केरल सरकार सख्ते में आ गई है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा 'दहेज निषेध अधिकारियों के पद पहले से ही तीन जिलों-तिरुवनंतपुरम, एर्नाकुलम और कोझीकोड में क्षेत्रीय आधार पर मौजूद थे और अब इसका विस्तार सभी जिलों में कर दिया गया है।' वीना जॉर्ज एक बयान में कहा कि 'जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी प्रत्येक जिले में दहेज निषेध अधिकारी के रूप में काम करेंगे।' वहीं इसके साथ ही महिला एवं बाल विकास निदेशक अधिकारी को मुख्य दहेज निषेध अधिकारी नियुक्त किया गया है। जिससे यह साफ है कि केरल की राज्य सरकार दहेज उत्पीड़न के मामलों सख्त रवैया अपनाने को तैयार है। महिला उत्पीड़न मामले में सख्त हुआ कानून दहेज के लिए महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार और उत्पीड़न के मामले दिन प्रतिदिन बड़े और गंभीर होते जा रहे हैं। केरल सरकार ने महिला उत्पीड़न मामले में कानून को सख्त करने के साथ-साथ जिला सहकार बोर्ड स्थापित करने और जागरूकता कार्यक्रम को तेज करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। जिसके तहत कालेज और राष्ट्रीय सेवा योजना के सहयोग से छात्र छात्राओं को महिलाओं के नियमों पर जागरूकता अभियान चलाते हुए अलग से इसकी कक्षाएं चलाई जा रही है। दहेज उत्पीड़न मामले में ना सिर्फ महिलाओं को प्रताड़ित किया जा रहा बल्कि दहेज उत्पीड़न की समस्या इतनी बढ़ गई है कि इससे संबंधित मौतों की भी श्रृंखला बढ़ती जा रही है। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने हाल ही में एक दिन का उपवास रखकर लोगों से इस समस्या को जड़ से खत्म करने का आग्रह किया। राज्य पुलिस ने महिलाओं पर होने वाले दहेज अत्याचार के खिलाफ 'दहेज को ना कहो' भी अभियान भी आरंभ किया है।
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