नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। डिस्लेक्सिया एक मानसिक विकार है। बच्चे इस विकार से अधिक शिकार होते हैं। इस स्थिति में बच्चे को पढ़ने, लिखने और समझने में कठिनाई होती है। कई मौके पर लिखावट धुंधली द
खती है और बोलने में भी दिक्कत होती है। विशेषज्ञों की मानें तो यह एक आनुवांशिकी रोग भी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है। वहीं, मस्तिष्क में किसी प्रकार की चोट के चलते भी डिस्लेक्सिया की समस्या होती है। इसके लिए बच्चों की देखभाल उचित तरीके से करें। बच्चे में डिस्लेक्सिया के लक्षण दिखने पर तत्काल डॉक्टर से सलाह लें। लापरवाही बरतने पर यह खरनाक साबित हो सकता है। आइए, डिस्लेक्सिया के बारे में सबकुछ जानते हैं- डिस्लेक्सिया के लक्षण -अक्षर पहचानने में दिक्कत -शब्दों के उच्चारण में दिक्कत भूलने की आदत -सुनने में परेशानी डिस्लेक्सिया के प्रकार -हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो डिस्लेक्सिया के तीन प्रकार हैं। पहले प्रकार को प्राथमिक डिस्लेक्सिया कहा जाता है। इस स्थिति में बच्चे को पढ़ने और समझने में दिक्कत आती है। -दूसरे प्रकार को माध्यमिक डिस्लेक्सिया कहा जाता है। गर्भ के समय में ही बच्चे के मस्तिष्क विकास के दौरान माध्यमिक डिस्लेक्सिया की समस्या होती है। हालांकि, माध्यमिक डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चे उम्र बढ़ने के साथ शिक्षा में औसतन प्रदर्शन करते हैं। यह भी पढ़ें COVID-19 & Chest Pain: क्या कोविड-19 की वजह से सीने में दर्द हो सकता है? -तीसरे प्रकार को आघात डिस्लेक्सिया कहा जाता है। मस्तिष्क में गंभीर चोट लगने से आघात डिस्लेक्सिया की समस्या होती है। इस स्थिति में पीड़ित की याददाश्त शक्ति चली जाती है। डिस्लेक्सिया से बचाव चिकित्सा क्षेत्र में डिस्लेक्सिया का उपचार संभव है। डिस्लेक्सिया एक आनुवांशिक रोग भी है। इस स्थिति में इलाज में दिक्कत होती है। वहीं, अन्य स्थितियों में डिस्लेक्सिया का उपचार संभव है। इसके लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें। प्राथमिक स्तर पर इलाज से मरीज का इलाज किया जा सकता है। साथ ही बच्चे के मनोभाव को समझकर हौसला अफजाई जरूर करें। वहीं, बच्चे को काउंसलिंग की आवश्यकता पड़ती है। अपने बच्चे के साथ कीमती वक्त बिताएं।
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