खोजी/सुभाष कोहली कालका। देश के कई राज्यों में टीकाकरण का अभियान कछुए की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। 18 से 45 साल वर्ग के लिए तो सरकार ने फिलहाल टीकाकरण बंद ही रखा है। मोदी जी का नारा "सबको वैक्सीन मुफ
त वैक्सीन ओर "टीका लगवाएं, सुरक्षित रहें" देखने को नहीं मिल रहा है, केवल कागजों तक ही सीमित रह गया है। यह कहना है कालका स्थित मिशन एकता समिति की प्रदेश महासचिव कृष्णा राणा का। राणा का कहना है कि कोविन पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक 21 से 27 जून के बीच रोज औसतन 61.14 लाख डोज वैक्सीनेशन हो रहा था। जबकि 5 से 11 जुलाई के बीच आंकड़ा घटकर 34.32 लाख डोज रह गया है, लगभग आधा हो गया है। धीमी रफ्तार में चल रहे टीकाकरण के इस अभियान से युवा वर्ग और जनता परेशान हो रही है। कई वैक्सीन केंद्रों पर वैक्सीन उपलब्ध न होने के कारण जनता को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा रहा है। राणा का कहना है कि बेहतर होता यदि सरकार पहले वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित बनाती और उसके बाद टीकाकरण अभियान की शुरुआत करती। जिस प्रकार टीकाकरण अभियान की रफ्तार कम हो गई है, यह केंद्र सरकार की अव्यवस्था को दर्शाता है। सरकारें हर रोज प्रचार करने में ही अपनी उपलब्धि समझ रही है, परंतु जमीनी स्तर पर यह उसके विपरीत है। युवा वर्ग और आम जनता परेशान हो रही है, जबकि तीसरी लहर के आने की संभावना जताई जा चुकी है। राणा की केंद्र सरकार व राज्य सरकारों से अपील है कि जल्द ही युद्धस्तर पर टीकाकरण अभियान को प्राथमिकता दें, तभी संभावित तीसरी लहर के प्रकोप से आम जनता को बचाया जा सकता है।
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