नूंह 14 जुलाई ( ) उपायुक्त शक्ति सिंह ने आमजन से आह्वान करते हुए कहा कि वर्तमान परिवेश में ग्लोबल वार्मिंग व बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए सभी को अपने आसपास के क्षेत्र में अधिक से अधिक पौधारोपण
रना चाहिए। सृष्टि की अनमोल देन जल को व्यर्थ में नहीं बहाना चाहिए। इसके साथ-साथ मानसून सीजन में वर्षा के जल का संचय करना चाहिए। उपायुक्त शक्ति सिंह ने कहा कि जल की महत्ता को देखते हुए सरकार द्वारा जल शक्ति अभियान चलाया गया है, जिसके तहत विभिन्न क्रियाकलापों के द्वारा जल संचय के लिए कार्य किया जा रहा है। जिला में भी तालाबों का विस्तारीकरण, पौधा रोपण, सोख्ता गड्ढे बनाए जा रहे हैं, ताकि व्यर्थ में जल नहीं है और उसका संचय हो सके। जल शक्ति अभियान के तहत विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाएं पौधा रोपण जैसे कार्य में अपना सकारात्मक योगदान दे रही है। जितने अधिक धरा पर पेड़-पौधे होंगे, उतना ही वातावरण अच्छा होगा। आज हम जल का उचित दोहन करेंगे तो तभी आने वाली पीढ़ी के लिए अनमोल देन जल को बचा पाएंगे। इस कार्य में प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होकर इस मिशन को जन आंदोलन का रूप देना होगा, तभी हम जिला में मिले लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगे। कैच दी रेन के तहत भविष्य में मानसून सीजन में हम सभी को वर्षा के जल का संचय करना है, जिससे भूजल स्तर में सुधार होगा। उपायुक्त ने कहा कि पेड़ प्रकृति का अनमोल उपहार है, पेड़ों के कारण ही इस हरी भरी पृथ्वी और हमारा जीवन खुशहाल है। पेड़ सच्चे योद्धा है जो जन्म से ही हमारे लिए प्रदूषण से लड़ते रहते है और हमें स्वच्छ व सुंदर पर्यावरण देते है। पेड़ हमारी पृथ्वी पर हजारों वर्षों से है ये चल फिर नहीं सकते लेकिन इंसानों की तरह श्वास ले सकते है। पेड़ प्रदूषण वाली जहरीली कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके हमें शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करते है। पेड़ जीवन भर हमें खाने के लिए फल और अनाज, बारिश भी उन्हीं की वजह से होती है जिससे हमें पीने को जल मिलता है, कपड़े, ईंधन के लिए लकड़ी, कागज, रबड़, बीमारियों को दूर करने के लिए जड़ी बूटियां, गर्मियों में ठंडी छांव देते है। बारिश के दिनों में भूमि के कटाव को रोकते है, पेड़ों के पत्तों से भूमि उपजाऊ हो जाती है, पेड़ अन्य जीव जंतु को रहने के लिए घर के समान स्थान देते है और अन्य बहुमूल्य खनिज संपदा भी उन्हीं की देन है। इसलिए हम सभी को अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए। हमारी संस्कृति ने पेड़-पौधों को पूजनीय भी माना जाता है।
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