नासिक, । नासा के एक पूर्व वैज्ञानिक पराग नार्वेकर ने भारत में फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक किफायती सेंसर विकसित किया है। पहले सेंसर की कीमत 1.5 लाख रुपये हुआ करती थी, लेकिन अ
देश के किसानों को यह सेंसर 10,000 रुपये में मिलेगा। पराग नार्वेकर ने मंगलवार को कहा कि इससे किसानों को मौजूदा मौसम की स्थिति के आधार पर उर्वरक और इसके उपयोग और सिंचाई को समझने में मदद मिलेगी। एएनआइ से बात करते हुए नार्वेकर ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के अनुसार फसल उत्पादन से निपटने के लिए अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में बहुत सारी कृषि तकनीक हैं। हालांकि, भारत में ऐसी कोई तकनीक उपलब्ध नहीं थी। नासा में काम करने के बाद, मैंने फैसला लिया कि मुझे अपने देश के लिए कुछ करना चाहिए। कृषि देश की रीढ़ है। किसान ऐसी तकनीक का खर्च नहीं उठा सकते हैं, इसलिए मैंने एक किफायती तकनीक विकसित करने का प्रयोग किया। नार्वेकर ने कहा सेंसर मौसम के अनुसार सिंचाई के लिए उपयुक्त समय की पहचान करने में मदद कर सकते हैं, किसान के बेहतर फसल गुणवत्ता के लिए निर्णय ले सकते हैं, उर्वरक जिनका उपयोग किया जा सकता है, फसलों के लिए दवाएं और कृषि पद्धतियों का पालन किया जा सकता है। नए विकसित सेंसर का उपयोग मौसम की भविष्यवाणी में भी किया जा सकता है। मौसम के विकास पर अपडेट जोड़ने के लिए सेंसर को कृषि सलाहकार से जोड़ा जा सकता है। यदि किसान अपने खेतों में सेंसर लगाते हैं, तो वे मौसम का आकलन कर सकते हैं। नार्वेकर ने सह्याद्री फार्म के मुख्य प्रबंध निदेशक विलास शिंदे की मदद से सेंसर को विकसित किया है। विलास शिंदे ने कहा हम एक ऐसा सेंसर बनाना चाहते थे जो डेटा सटीकता के साथ-साथ सरता भी हो। हमने पिछले तीन वर्षों से सेंसर पर काम किया है। सेंसर को पुराने सेंसर के बजाय खेत या किसान के स्थान पर रखा जा सकता है।
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