काबुल । पाकिस्तान अब अफगानिस्तान के हालातों को लेकर अपने हाथ कड़े करने लगा है। एक दिन पहले ही पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा था कि अफगानिस्तान के हालात पाकिस्तान के का
ू से बाहर हैं। वहीं पाकिस्तान के आईएसपीआर के डायरेक्टर जनरल ने कहा है कि वो पाकिस्तान अफगानिस्तान में शांति का हिमायती है लेकिन इसका गारंटर नहीं है। वहीं अब अफगानिसतान में मौजूद पाकिस्तान के राजदूत का कहना है कि तालिबान के खिलाफ मिलिशिया को तैनात करने से हालात काफी खराब हो सकते हैं। उन्होंने इस तरह के हालातों के प्रति अफगानिस्तान को आगाह किया है। जियो न्यूज के अनुसार, शुक्रवार को वयोवृद्ध सरदार इस्माइल खान ने तालिबान के खिलाफ लड़ने वाले सरकारी बलों का समर्थन करने की कसम खाई है। वर्ष 2001 में उनके लड़ाकों ने सेना के साथ मिलकर तालिबान को खदेड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। पूर्व मुजाहिद्दीन इस्माइल खान अब जमात ए इस्लामी पार्टी के वरिष्ठ सदस्य हैं। उन्होंने पार्टी के सदस्यों से तालिबान के खिलाफ दोबारा हथियार उठाने की अपील की है। आपको बता दें कि जब से अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज ने अपनी वापसी की शुरुआत की है तब से ही देश में तालिबान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों का दायरा भी बढ़ गया है। तालिबान के हमलों में मई से और तेजी आई है।गौरतलब है कि बीस वर्ष लंबे चले संघर्ष के बाद अमेरिकी फौज अफगानिस्तान छोड़ रही है। तालिबान का कहना है कि उसने देश के 85 फीसद इलाके पर कब्जा कर चुका है। जियो न्यूज का कहना है कि तालिबान को रोकने के लिए अफगान सेना के साथ मिलकर मिलिशिया ने अपने लड़ाकों को एकत्रित करना भी शुरू कर दिया है। हालांकि राजदूत मंसूर अहमद खान का कहना है कि ये विचार काफी खतरनाक हो सकता है। खान का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय जगत को इस संबंध में अफगानिस्तान की अशरफ गनी सरकार को समर्थन करना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा है कि अफगानिस्ताना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर तरह की मदद करनी चाहिए। अफगानिस्तान गंभीर सुरक्षा चुनौती से जूझ रहा है। जियो न्यूज के हवाले से बताया है कि उन्होंने इस बात के लिए भी आगाह किया है कि अफगानिस्तान के खराब होते हालातों में पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों की संख्या अधिक हो सकती है। अफगानिस्तान के अखबार टोलो न्यूज ने जानकारी दी है कि तालिबान का हेरात प्रांत के आठ और जिलों पर कब्जा हो चुका है। हेरात प्रांत में रहने वाले अब्दुल लतीफ का कहना है कि तालिबान यहां के लोगों के साथ बेहद बुरा बर्ताव करेगा। उसने बताया कि यदि तालिबान उनसे लड़ेगा तो उन्हें हथियार हाथों में लेने होंगे और यदि वो दोस्ती का हाथ बढ़ाएगा तो हमारी तरफ से ऐसा होगा। अफगानिस्तान में सिविल वार को लेकर भी कई लोग और संयुक्त राष्ट्र चेतावनी दे चुका है।
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