काबुल, । अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार के साथ तालिबान तब तक बातचीत नहीं करेगा जब तक पाकिस्तानी सेना और खुफिया तंत्र आतंकवादियों को पनाह देना जारी रखेंगे। एक प्रमुख अफगान विशेष
्ञ ने यह बड़ी बात कही है। जर्मन डीडब्ल्यू के साथ एक साक्षात्कार में पत्रकार और अफगानिस्तान के विदेश नीति को लेकर कई बेस्ट- सेलिंग किताब के लेखक अहमद राशिद ने कहा कि अफगानिस्तान में अराजक स्थिति पड़ोसी देशों में परेशानी बढ़ सकती है। अगर ऐसा होता है, तो यह अफगानिस्तान का अंत होगा। राशिद ने कहा कि तालिबानी के नेता और उनके परिवार सुरक्षित हैं तो वे बात क्यों करेंगे? यदि पाकिस्तान अपनी ईमानदारी दिखाना चाहता है, तो उसे तत्काल तालिबानी नेताओं को समझौता करने या क्वेटा या पेशावर छोड़ने के लिए मजबूर करने की आवश्यकता है। विदेशी सेना युद्धग्रस्त देश से पीछे हट रही हैं। ऐसे में अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ गई है। तालिबान के तेजी से आगे बढ़ रहा है और देश के उत्तर में कई जिलों पर नियंत्रण कर लिया है। ऐसे में यहां गृहयुद्ध छिड़ने का डर है। अफगानी सेना तालिबान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई शुरू कर रही है। इस बीच हाल ही में सैकड़ों अफगान सुरक्षाकर्मी तालिबान के खौफ से ताजिकिस्तान भाग गए। पाकिस्तान पर तालिबान की सहायता करने और उन्हें अपने फायदे के लिए प्रॉक्सी के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगता रहा है। हालांकि, वह बढ़ते सबूतों के बावजूद आतंकवादी समूह से अपने संबंध से इन्कार करता रहा है। हाल ही में पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने स्वीकार किया कि अफगान तालिबानी नेताओं के परिवार उनके देश में रहते हैं। वे राजधानी इस्लामाबाद में भी रहते हैं। अहमद ने यह भी कहा था कि तालिबान से जुड़े लोगों का इलाज पाकिस्तानी अस्पतालों में होता है। यह पाकिस्तान के दावों के विपरीत था। पिछले महीने पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पाकिस्तान में तालिबान के पनाहगाहों की मौजूदगी से इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि आतंकवादी समूह के नेता अफगानिस्तान में हैं। इसके अलावा, उन्होंने पाकिस्तान में ऐसे संगठनों के अस्तित्व से इन्कार किया और कहा कि वह अब दशकों से इन बातों को सुन रहे हैं। अफगान अधिकारी लंबे समय से कह रहे हैं कि पाकिस्तान तालिबान को आश्रय और सैन्य सहायता प्रदान करता है।
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