हथीन/माथुर : सरकार कोरोना आपदा को अवसर में बदलकर कर्मियों पर आर्थिक हमले और जन सेवाओं के विभागों को तेजी से निजीकरण के हवाले कर रही है। जिसका कर्मचारी 15 जुलाई को राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस पर देश
भर में प्रदर्शन करके देंगे। यह ऐलान मंगलवार को हथीन के साहब जी मंदिर (सत्यनारायण मंदिर) परिसर में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंम्पलाईज फैडरेशन व सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने किया। उन्होंने कहा कि 15 जुलाई को प्रदेश के सभी जिलों एवं खंडों में कर्मचारी सडक़ों पर उतरेंगे और डीए व पुरानी पेंशन बहाल करने, ठेका प्रथा समाप्त कर कच्चे कर्मियों को पक्का करने, स्वास्थ्य ठेका कर्मियों, पीटीआई, गु्रप-डी सहित नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों को वापस ड्यूटी पर लेने आदि मांगों की अनदेखी और सार्वजनिक सेवा क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आपदा को अवसर में बदलकर कर्मियों के करीब ढाई हजार करोड़ रुपए डीए डकार गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना के बहाने जनवरी, 2020 से कर्मियों के महंगाई भत्ते को निलंबित किया हुआ है। जिसके कारण प्रत्येक कर्मचारी को 72 हजार से लेकर 1.5 लाख का नुक्सान उठाना पड़ा है। सरकार ने इसमें सैनिकों, अर्धसैनिक बलों व पेंशनरों तक को नहीं बख्शा है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर सरकार ने कर्मचारियों की जायज मांगों की अनदेखी की तो कर्मचारी मजबूरन कोई कठोर निर्णय लेने पर मजबूर होंगे। सम्मेलन की अध्यक्षता खंड प्रधान हरीश चंद्र ने की और सम्मेलन में प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा के अलावा जिला प्रधान राजेश शर्मा, ब्लाक सचिव धर्मेन्द्र, आईटीआई से अजीत सहरावत, एएचपीसी वर्कर यूनियन के यूनिट प्रधान वेदपाल तेवतिया, सब यूनिट प्रधान प्रेम सहरावत, पशुपालन से कृष्ण चंद्र, हेमसा से बिजेंद्र सिंह आदि उपस्थित थे। सम्मेलन में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में कार्यरत पंचायती ट्यूबवेल आपरेटरों को एक साल व हरियाणा टूरिज्म व मेवात माडल स्कूलों के स्टाफ को तीन महीने से वेतन नहीं मिलने की निन्दा की गई और शीघ्र अतिशीघ्र वेतन का भुगतान करने की मांग की। सम्मेलन को संबोधित करते हुए सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि प्रदेश में जनसंख्या के हिसाब से जनता को बेहतर जन सुविधाएं प्रदान करने के लिए लगभग 12 लाख कर्मचारियों की जरूरत है। जबकि वर्तमान में पक्के व कच्चे कुल मिलाकर लगभग 4 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। अगर सरकार सभी विभागों में जरूरत के अनुसार भर्ती करें तो 8 लाख बेरोजगार युवाओं को स्थाई नौकरी मिल सकती है। परंतु सरकार नई भर्तियां करने की बजाय पिछले कई सालों से सेवा कर रहे पीटीआई, ड्राइंग टीचर व खेल कोटे के ग्रुप डी. के हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल चुकी है। वही पहले से जारी भर्तियों में चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र देने की बजाय भारतीयों को ही रद्द करने में लगी हुई है। टीजीटी (अंग्रेजी) पीजीटी (संस्कृत) व जूनियर सिस्टम इंजीनियरों की भर्ती रद्द करना इसके ताजा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में बेरोजगारी की दर करीब 30 प्रतिशत के साथ रिकॉर्ड तोड़ रही । उन्होंने कहा कि सर्व कर्मचारी संघ द्वारा लगातार अनुसूचित जाति समेत आरक्षित श्रेणियों के बैकलॉग को विशेष भर्ती अभियान चलाकर भरने की मांग की भी सरकार लगातार अनदेखी कर रही है। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों व शहरी स्थानीय निकायों की स्वयतता पर भी हमला बोला जा रहा है। जिसको बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
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