Narnaul(Vipin Kumar) जिला में ऐतिहासिक मूर्तियां, शिलालेख, व वस्तुओं को एकत्रित करके संग्राहलय बनाने की योजना नारनौल, 6 जुलाई। जिला में पुरानी व ऐतिहासिक मूर्तियां, शिलालेख, व वस्तुओं को एकत्रित करके स
ग्राहलय बनाने की योजना है। इसके लिए जिला प्रशासन आम नागरिकों से आह्ïवान करता है कि ऐसी ऐतिहासिक महत्व की वस्तुओं को जिला प्रशासन को सौंपें। उस वस्तु को संग्राहलय के लिए बनाई जाने वाली गैलरी में हमेशा के लिए वस्तु दान करने वाले व्यक्ति या ग्राम पंचायत का नाम व पता के साथ संजोकर रखा जाएगा। यह जानकारी देते हुए उपायुक्त अजय कुमार ने बताया कि जल्द ही इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों की एक गैर सरकारी कमेटी बनाई जाएगी। इनके सहयोग से जिला के गांवों से इन चीजों की जानकारी लेकर संबंधित बीडीपीओ के माध्यम से जिला प्रशासन उसे पाप्त करेगा। जो भी व्यक्ति व संस्था वस्तु उपलब्ध करवाएगी उसका नाम सदा-सदा के लिए संग्राहलय में उस वस्तु के साथ ही लिखा जाएगा ताकि भविष्य में लोगों को जानकारी रहे। उन्होंने बताया कि इस काम के लिए फिलहाल ये चीजें पूरे रिकार्ड के साथ जिला पुस्तकालय में रखने की व्यवस्था की जाएगी। भविष्य में बड़ा संग्रालय बनाकर इन्हें संजोकर रखा जाएगा। उन्होंने आम नागरिकोंं से अपील की है कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में कई जगह महत्वपूर्ण शिलालेख व मूर्तियां पड़ी रहती हैं। लोगों को उनकी ऐतिहासिक महत्व की जानकारी नहींं होती। ऐसी चीजों को तुरंत संजोकर रखने की जरूरत है। इसी प्रकार पूर्वजों से जुड़ी कोई वस्तु जैसे कोई पुराना हथियार, दस्तावेज, पेंटिंग, कोई पत्र, मानचित्र, मैडल व बैज आदि चीजों को भी जिला प्रशासन एकत्रित करने के लिए आम नागरिकोंं की सहायता लेगा। डीसी ने बताया कि अगर दी गई वस्तु, दस्तावेज या अन्य चीजें प्रमाणिक पाए जाते हैं तो उसे दिए जाने वाले व्यक्ति के नाम व पते के साथ गैलरी मेंं दर्शाया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रमाणिक जांच के बाद ये चीजें एकत्रित होने के बाद टाटा कसंलटेंसी के माध्यम से इनकी प्रमाणिकता जांची जाएगी। उन्होंने बताया कि आम नागरिक इसमें सहयोग करें। यह बहुत बड़ी प्रक्रिया है। उपायुक्त ने बताया कि इसके अलावा इस संग्राहलय में पुराने दौर के विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए उपयोग होने वाले औजारों को भी एकत्रित किया जाएगा। पुराने जमाने में खेती के लिए प्रयोग होने वाले सामान में बैलगाड़ी, रेहडू, रहट, पानी भरने का चड़स, बैलों का श्रृंगार का सामान, जैली, हल, छाज, दराती, हंसिया, गंडासी आदि को एकत्रित किया जाएगा। वहीं पुराने ठठेरा का सामान, खाद्यी के कपड़े बनाने के उपकरण, जूते बनाने के उपकरण, पुराने जमाने के श्रृंगार से जुड़ी वस्तु, पुराना मटका, चारपाई, मूढ़े, लकड़ी के काम से जुड़े औजार सहित पुराने जमाने में प्रयोग होने वाला हर सामान भी एकत्रित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में नई पीढिय़ों को ये चीजें देखने को नहींं मिलेंगी। ऐसे मेंं इनके लिए अभी से संग्राहलय बनाने की तैयारियां जरूरी हैं। प्रशासन को दी जाने वाली हर चीज का बाकायदा रिकार्ड रखा जाएगा। उपायुक्त अजय कुमार ने बताया कि इस काम के लिए मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी कौस्तुभ विराट को जिम्मेदारी दी गई है। जिला का कोई भी नागरिक उनसे मिलकर अपनी वस्तुएं दान कर सकता है। इसके लिए उनके मोबाइल नंबर 7420873068 पर वाट्ïसएप करके वस्तु की जानकारी डाल सकते हैं। इसके बाद संबंधित कमेटी उस सामान को ग्रहण करने की कार्यवाही करेगी। उन्होंने बताया कि यह बहुत बड़ी प्रक्रिया है। आने वाली पीढिय़ों को पुराने जमाने की चीजों से रूबरू करवाने के लिए जरूरी है कि इन चीजों को अभी से एकत्रित करने का काम किया जाए। कई बार नागरिक ऐसी चीजों को फालतू की चीज मानकर फैंक देते है। नई पीढ़ी को पुरानी परंपराओं व औजारों की जानकरी देने के लिए यह संग्राहलय बहुत ही महत्वपूर्ण होगा।
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