खोजी/सुभाष कोहली। कालका। ईमानदार! परोपकारी! दयालु! व्यक्ति क्यों रहते हैं दुखी? इसका मुख्य कारण है कि ईमानदार व्यक्ति बात और काम में कोई मिलावट नही कर सकता है और बिना मिलावट के चाहे दूध हो! तेल
ो! या झूठ हो, वह वहीं का वहीं रह जाता है। यह कहना है पिंजौर स्थित आचार्य सीताराम शुक्ला (राजपुरोहित) जी का। उनका कहना है कि जो व्यक्ति ट्रेफिक के नियम से चलता है वह लेट पहुंचता है और जो नीचे पगडंडी से क्रॉस करके निकल जाता है वह पहले पहुंचता है। दयालु व्यक्ति किसी का दुख नहीं देख पाता और सामने वाले के दुख को देखकर अपने सुख को छोड़कर दूसरों के लड़ाई-झगड़े, अस्पताल, थाना समझौते आदि दुख अपने ऊपर ले लेता है। परोपकारी व्यक्ति अपनी समस्या, अपने बच्चों की फीस! अपना ऋण! अपने शत्रु पर ध्यान न देकर दूसरों की समस्या के हल के चक्कर में पड़ा रहता है। जबकि इन कार्यों से परोकारी! दयालु व्यक्तियों को आत्म संतुष्टि तो मिलती है लेकिन दुख समस्याओं का स्वामी भी रहता है।
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