सोनू नूह। खंड के गांव टाई में चेतनालय सामाजिक संस्था द्वारा दिव्यांगजनों के लिए योग्यता दिवस का आयोजन किया गया इसमें मुख्य अतिथि चाइल्ड लाइन कोऑर्डिनेटर सिस्टर एनी जी रही मुख्य अतिथि ने दि
्यांग जनों को संबोधित करते हुए उनको विश्व दिव्यांग दिवस की शुभकामनाएं दी और उनको बताया कि सभी दिव्यांग जनों को एक साथ मिलकर कार्य करना है और अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़नी है उन्होंने बताया कि चेतनालय संस्था दिव्यांग जनों के साथ खड़ी हुई है इस मौके पर सीबीआर कोऑर्डिनेटर श्री राजकुमार ने बताया कि चेतनालय हर साल विश्व दिव्यांग दिवस जिला स्तर पर आयोजित करता है परंतु इस बार कोविड-19 के कारण नियमों के आधार पर यह दिवस छोटे स्तर पर आयोजन किया गया उन्होंने दिव्यांगजनों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया उन्होंने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि इस अधिनियम में दिव्यांगता को 7 से बढ़ाकर 21 कर दिया है उन्होंने बताया पहली बार भाषण और भाषा विकलांगता और विशिष्ट अधिगम विकलांगता को जोड़ा गया है। एसिड अटैक विक्टिम्स को शामिल किया गया है। बौनापन, पेशी अपविकास को निर्दिष्ट विकलांगता के अलग वर्ग के रूप में इंगित किया गया है। विकलांगों की नई श्रेणियों में तीन रक्त विकार, थैलेसीमिया, हेमोफिलिया और सिकल सेल रोग भी शामिल थे। सुनिश्चित किया जा सके कि विकलांग व्यक्ति दूसरों के साथ समान रूप से अपने अधिकारों का आनंद लें। उच्च शिक्षा, सरकारी नौकरियों में आरक्षण, भूमि के आवंटन में आरक्षण, गरीबी उन्मूलन योजना आदि जैसे अतिरिक्त लाभ बेंचमार्क विकलांग व्यक्तियों और उच्च समर्थन आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों के लिए प्रदान किए गए हैं। 6 और 18 वर्ष की आयु के बीच बेंचमार्क विकलांगता वाले प्रत्येक बच्चे को मुफ्त शिक्षा का अधिकार होगा सरकारी प्रतिष्ठानों में रिक्तियों में आरक्षण 3% से बढ़ाकर 4% कर दिया गया है। चेतनालय द्वारा दिव्यांग जनों के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता कराई गई जिसमें रंगोली बाधा दौड़ और म्यूजिकल चेयर प्रतियोगिता रखी गई दिव्यांग जनों ने इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया चेतनालय द्वारा प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरण किए गए इस दौरान सामाजिक दूरी का विशेष ध्यान रखा गया सभी दिव्यांग जनों को मास्क वितरण किए गए इस मौके पर चेतनालय की तरफ से यासिर रशीदा मीनु राशिद रुबीना मौजूद रहे इस कार्यक्रम सफल बनाने के लिए समाजसेवी आरिफ जी समर जी और जुबेर जी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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