जयवीर फोगाट, विरोधी कानूनों को निरस्त करने की लगाई गुहार बिना शर्त किसानों से बातचीत करेंं सरकार : अधिवक्ता गिरेन्द्र फौगाट बेचारा और लाचार ना समझे किसानों को सरकार : गिरेन्द्र फौगाट चरखी द
ादरी : बीजेपी की केंद्र व प्रदेश सरकार ने शायद पंूजिपतियों के हितों को पूरा करना ही अपना लक्ष्य व उद्देश्य मान लिया है। इस देश के किसान, मजदूर, कमेरे, मध्यम वर्ग के लिए जीवन पहले ही कठिन था, अब केंद्र सरकार ने अपने निर्णयों के जरिए इनका जीना ही मुहाल कर दिया है। यह बात प्रेस को जारी बयान में फौगाट खाप मुख्य कानूनी सलाहकार अधिवक्ता गिरेन्द्र फौगाट ने कही। उन्होंने कहा कि पिछले अनेक दिनों से पूरे देश के किसान दिल्ली बार्डर पर अपनी जायज मांगों व परिवार की रोजी रोटी बचाने के लिए धरने पर डटे हुए है लेकिन सरकार अपने कृषि विरोधी काले कानूनों को वापिस न लेने की जिद पकडे हुए है। लेकिन केन्द्र सरकार भूल गई है कि अब यह केवल किसानों का आंदोलन भर नहीं रहा है बल्कि यह तो पूरे देश के गरीबों का संघर्ष बन चुका है, इसमे पूरे भारत का गरीब मध्यम परिवार जुडा है, यह आंदोलन अब तीनों काले कृषि कानून कृषि उपज व्यापार व वाणिज्य विधेयक, मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान समझौता और आवश्यक वस्तु संसोधन विधेयक आदि को वापिस लेने के बाद ही रूकेगा। अधिवक्ता गिरेन्द्र फौगाट ने बताया कि उपरोक्त बिल से एम एस पी से छेडछाड का भय बना रहेगा, कृषि क्षेत्र में लंबे समय से चल रहे संकट व देश भर में किसानों की आत्महत्याओं के बावजूद खेती बाडी करने वालों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य एक निश्चत आमदनी कि गारंटी की तरह था, इसलिए इससे किसी तरह की छेड़छाड़ या आशंका किसानों को स्वीकार नहीं होगी। यह भी सच है कि देश के कृषि क्षेत्र को बडे पैमाने पर सुधार की आवश्यकता है। इसमें भारी निवेश की जरूरत है। आज उद्योगपति, अमीरों, चिकित्सकों, अभियंताओं व बडे पदो ंके कर्मियों की संतान उन्हीं के नक्शे कदम पर चल रही है, लेकिन यह बडी विडंबना है कि किसान का बेटा आज खेती को घाटे का सौदा मानकर मजदूरी करना बेहतर समझ रहा है। उसकी जीवन को सुधारने की जगह केंद्र सरकार की किसान को फायदा न पहुंचा कर अपने चहेते को लाभ पहुंचाना, कुछ गिने चुने उद्योगपतियों को लाभ देना एक षडंयत्र के तहत कमेरे वर्ग को गुलाम बनाने की साजिश इन तीनों कानूनों के जरिए रची जा रही है। अधिवक्ता गिरेन्द्र फौगाट ने बताया कि तीनों काले अध्यादेशों से कमेरा वर्ग और गरीब हो जाएगा। उपरोक्त बिलों के जरिए पूरे देश का किसान को कुछ भी लाभ नहीं होगा बल्कि वह केवल कुछ उद्योगपतियों व अमीरों तथा बडी कंपनियों का खेतीहर मजदूर भर बनकर रह जाएगा। किसानों के साथ अब तमाम खापे सरकार के चूले हिलाने का कार्य करेंगी।
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