दो से अधिक पशु वाले किसान गोबर की उपलब्धता के आधार पर लगवा सकते हैं बायोगैस संयंत्र: सहायक कृषि अभियन्ता न्यू नेशनल बायोगैस एवं आर्गेनिक मैन्योर प्रोग्राम के तहत लगवा सकते हैं बायोगैस संयंत
्र:डीएस यादव नारनौल एनसीआर हरियाणा (अमित यादव) :सरकार की बायोगैस स्कीम की योजना न्यू नेशनल बायोगैस एवं आर्गेनिक मैन्योर प्रोग्राम के तहत जिले के जिन किसानों के पास 2 पशुओं से अधिक पशु हैं वे किसान गोबर की उपलब्धता के आधार पर बायोगैस संयंत्र लगवा सकते हैं। इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को 12 हजार रुपए का अनुदान दिया जाएगा। पशुपालक किसान अपने घरों में बायोगैस प्लांट लगाकर प्रतिवर्ष 40 से 50 हजार रुपए की बचत कर सकता है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग से सहायक कृषि अभियन्ता डीएस यादव ने यह जानकारी देते हुए बताया कि किसानों के लिए बायोगैस प्लांट कई मायनों में वरदान साबित हो सकते हैं। इससे किसानों को उत्तम खाद के साथ-साथ ईंधन भी आसानी से मिल मिलता है। इसके अलावा बायोगैस संयंत्र के प्रयोग करने से प्रदूषण भी नहीं होता है क्योंकि यह धुंआ रहित संयंत्र है। बायोगस के कारण लकड़ी की भी बचत होती है। इसलिए किसान बायोगैस प्लांट लगाकर और ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में अन्य किसी जानकारी के लिए किसान किसी भी कार्यदिवस को सहायक कृषि अभियंता कार्यालय नारनौल में आकर जानकारी ले सकते हैं। बॉक्स: बायोगैस संयंत्र को शौचालय से जोडऩे पर मिलेगा 1600 रुपए का अतिरिक्त लाभ नारनौल। सहायक कृषि अभियन्ता डीएस यादव ने बताया कि इस योजना के तहत बायोगैस संयंत्र के साथ शौचालय से जोडऩे पर 1600 रुपए का अतिरिक्त अनुदान अलग से दिया जाता है। किसान 2 से 6 घन मीटर क्षमता के बायोगैस संयंत्र लगवा सकते हैं। इसके लिए किसानों को उपरोक्त योजना के तहत 12 हजार रुपए का अनुदान सरकार की ओर से दिया जा रहा है। गोबर निस्तारण से लाभ नारनौल। नारनौल मौहल्ला बड़ा बाग निवासी किसान हेतराम ने बताया कि वह खेती के अलावा डेयरी का भी व्यवसाय करते हैं। बायोगैस संयंत्र लगाने से पूर्व उनके सामने गोबर के निस्तारण की बहुत बड़ी समस्या थी लेकिन पहले जिस गोबर को वह समस्या मानते थे वही अब उनके लिए मुनाफे का सौदा बन गया है। वह बायोगैस का प्रयोग पशुओं की चाट एवं खाना इत्यादि बनाने के लिए कर रहे हैं। बायोगैस प्लांट से खेतों के लिए अत्यन्त लाभकारी पोषक तत्वों से भरपूर बायो खाद की प्राप्ति भी हो रही है। इससे फसलों की पैदावार और गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है ।
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