न्यूयॉर्क,। भारत ने आतंकवादी प्रोपेगेंडा और कट्टरपंथ के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में चिंता व्यक्त की। साथ ही आतंकवादी उद्देश्यों के लिए हथियारब
ंद ड्रोन के इस्तेमाल पर संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों का ध्यान आकर्षित किया और झूठी खबरें फैलाने के लिए पाकिस्तान को लताड़ लगाई। आतंकवाद रोधी एजेंसियों के प्रमुखों के संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय सम्मेलन में बोलते हुए, गृह मंत्रालय (एमएचए) के विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) वीएसके कौमुदी ने कहा, 'कम लागत वाला विकल्प होने और आसानी से उपलब्ध होने के कारण, आतंकवादी समूहों द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल खुफिया संग्रह, हथियार/विस्फोटक की डिलीवरी और लक्षित हमलों जैसे भयावह उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। यह दुनिया भर में सुरक्षा एजेंसियों के लिए खतरा और चुनौती बन गया है।' कौमुदी ने कहा कि सामरिक और वाणिज्यिक संपत्तियों के खिलाफ आतंकवादी उद्देश्यों के लिए हथियारबंद ड्रोन के इस्तेमाल की संभावना पर सदस्य देशों का गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। इस दौरान उन्होंने झूठे बयानबाजी और भारत के खिलाफ निराधार आरोप लगाने के लिए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की आलोचना की। उन्होंने कहा कि ऐसे देश के प्रतिनिधिमंडल से और क्या उम्मीद कर सकते हैं, जो अपने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा करता हो, असुरक्षा की भावना से ग्रस्त हो और भारत के खिलाफ घृणा फैलाता हो। कौमुदी ने यह भी कहा कि वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति (सीजीटीएस) की 7 वीं समीक्षा पूरी हो गई और संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों द्वारा पाकिस्तान के झूठे आख्यान को नकार दिया गया है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान से अपने क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी संगठनों के खिलाफ प्रभावी, सत्यापन योग्य कार्रवाई करने को कहना चाहिए। एमएचए के विशेष सचिव ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वैश्विक आतंकवादी समूहों के लिए आतंकवाद के प्रचार और साजिश को फैलाने के लिए संसाधन बन गए हैं, जिसका उद्देश्य नफरत फैलाना है।
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