तावडू 18 जून (दिनेश कुमार): शहर व क्षेत्र में 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर उन्हें याद कर उनके दिखाए मार्ग पर चलने क
बात रखी गई। शिवम अस्पताल के डाक्टर आर ए चौधरी ने कहा कि 19 नवंबर 1835 को रानी लक्ष्मीबाई का जन्म मोरोपंत तांबे और भागीरथी बाई के घर वाराणसी जिले के भदेनी में हुआ था। रानी लक्ष्मीबाई जब चार साल की थी तब उनकी मां का देहांत हो गया था। उसने बचपन में शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण की और छोटी उम्र में ही घुडसवारी करने लगी थी। उन्होंने कहा कि हमें उनके जीवन से प्ररेणा लेनी चाहिए और उनके दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंग्रेज झांसी को भी ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन करना चाहते थे। राजा गंगाधर राव की मृत्यु के बाद अंग्रेजों को यह एक उपयुक्त अवसर लगा। उन्हें लगा कि रानी लक्ष्मी बाई स्त्री है और उनका प्रतिरोध नहीं करेगी। लेकिन रानी लक्ष्मीबाई के विरोध और संघर्ष ने न केवल उन्हें अमर बना दिया बल्कि उन्हें पूरे देश की महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतिबिंब भी बना दिया।
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