--हिंसा प्रभावित महिलाओं को समाज की मुख्यधारा से जोडऩे में कारगर सिद्घ हो रही ‘वन स्टॉप सेंटर’ योजना धनेश विद्यार्थी, रेवाड़ी, 18 जून। एक महिला अगर किसी भी तरह की हिंसा झेलती है तो उसकी जल्द से
जल्द मदद करने की जरूरत पड़ती है जैसे मेडिकल स्पोर्ट, कानूनी सहायता, अस्थायी रूप से रहने के लिए स्थान, मानसिक और भावनात्मक सहयोग। इस कंडीशन में ये बेहद जरूरी हो जाता है कि उस महिला को ये सभी मदद एक ही स्थान पर मिले और उसे अलग-अलग जगहों पर भटकने की जरूरत न पड़े। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा महिला एवं बाल विभाग के सहयोग से ‘वन स्टॉप सेंटर योजना’ की शुरुआत की गई है, जिसका हिंसा प्रभावित महिलाओं को पूरा लाभ मिल रहा है। सरकार द्वारा हिंसा प्रभावित महिलाओं का समर्थन करने के लिए लागू की थी। ये योजना मूल रूप से ‘सखी’ के नाम से जानी जाती है। इस योजना को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने तैयार किया है। इस योजना के जरिए हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एक ही जगह पर सभी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। क्या है वन स्टॉप सेंटर स्कीम? : ‘वन स्टॉप सेंटर’ स्कीम का मतलब है एक ऐसी व्यवस्था, जहां हिंसा से पीडि़त कोई भी महिला सभी तरह की मदद एक ही छत के नीचे एक साथ पा सकती है, जहां मेडिकल ऐड, लीगल ऐड, अस्थायी रूप से रहने के लिए जगह, केस फाइल करने के लिए मदद, काउंसिलिंग सब कुछ एक ही जगह पर उपलब्ध होती है। कौन जा सकता है वन स्टॉप सेंटर? : वन स्टॉप सेंटर में किसी भी तरह की हिंसा झेल रही महिला, बलात्कार, लैंगिक हिंसा, घरेलू हिंसा, ट्रैफिकिंग, एसिड अटैक विक्टिम, विच हंटिंग, दहेज संबंधित हिंसा, सती, बाल यौन शोषण, बाल विवाह, भ्रूण हत्या जैसे मामलों से पीडि़त कोई भी महिला यहां जा सकती है। बॉक्स डीसी यशेन्द्र सिंह ने बताया कि नागरिक अस्पताल के नजदीक बनाए गए वन स्टॉप सेन्टर में एक ही छत के नीचे पीडि़त महिलाओं को सभी प्रकार की राहत देने का कार्य किया जा रहा है। सरकार द्वारा शुरू की गई वन स्टॉप सेन्टर योजना हिंसा प्रभावित महिलाओं को समाज की मुख्यधारा से जोडऩे में काफी कारगर सिद्घ हो रही हैं।
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