तावडू, (दिनेश कुमार): शहर के वार्ड नंबर 8 में गुरूवार को भारत के पहले राष्ट्रपति डाक्टर राजेन्द्र प्रशाद के जन्मोत्सव पर उन्हें याद कर उनके पदचिन्हों पर चलने का आहवान किया गया। इस अवसर पर युवा
ं की भागीदारी अधिक दिखाई दी। मास्टर अनुप सिंह सहरावत ने अपने संबोधन में कहा कि डाक्टर राजेन्द्र प्रशाद देश रत्न की उपाधि पाने वाले और 2 बार राष्ट्रपति चुने जाने वाले भारत के अकेले शख्स हैं। उन्होंने कहा कि डाक्टर राजेन्द्र प्रशाद की पढाई के दिनों के दर्जनों किस्से आज भी भारत में विद्याॢथयों को प्ररेणा देने के लिए सुने-सुनाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि राजेन्द्र बाबू के नाम से विख्यात इस स्वतंत्रता सेनानी ने स्कूल के दिनों से ही अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया था और आगे चलकर हर मोर्चे पर उसे सच साबित किया। उन्होंने कहा कि आजादी की लडाई के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होने से पहले वह वकील थे। महात्मा गांधी के प्रबल समर्थक राजेन्द्र बाबू बहुत जल्दी ही बिहार के बडे नेताओं में शामिल हो गए। वह 1934 में कांगे्रस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुने गए। देश के आजाद होने पर वह संविधान सभा के बध्यक्ष चुने गए। इसी सभा ने देश का संविधान तैयार किया। सन् 195० में जब देश गणतंत्र बना तो संविधान सभा में उन्हें देश का पहला राष्ट्रपति चुना। वहीं 1957 में दोबारा उन्हें इस पद के लिए चुना गया। इस अवसर पर मास्टर कर्मबीर, दिनेश कुमार, मास्टर गणेश, मास्टर बलवंत, लाला, रामफल आदि मौजूद थे।
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