खोजी/सुभाष कोहली। कालका। कोरोना महामारी के चलते पीजीआई चंडीगढ़ की ओपीडी पिछले 15 महीने से बंद है, जिस कारण गम्भीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह कहना ह
मिशन एकता समिति की महासचिव कृष्णा राणा का। राणा का कहना है कि अन्य बीमारियों से मरने वाले मरीजों की संख्या कोरोना से कहीं ज्यादा है, ऐसे में अगर उन्हें और ज्यादा नजरअंदाज किया गया तो तीसरी लहर उनके लिए घातक साबित हो सकती है। क्योंकि गम्भीर बीमारियों के मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे में वे कोरोना संक्रमण की चपेट में आसानी से आ सकते हैं, इसलिए सरकार को ऐसे मरीजों के इलाज के बारे में भी गम्भीरता से सोचने की जरूरत है। राणा का कहना है कि जब सर्जरी और अन्य बीमारियों के विशेषज्ञ डॉक्टरों का कोविड-19 के मरीजों के इलाज में कोई रोल नहीं है, तो फिर अन्य मरीजों का इलाज क्यों नहीं करने दिया जा रहा है। पंचकूला में पिछले एक महीने में कोरोना पॉजिटिव मामलों में काफी गिरावट आने के बाद अभी हाल ही में जनरल हॉस्पिटल सेक्टर 6 पंचकूला में डीजी हेल्थ हरियाणा द्वारा ओपीडी शुरू कर दी गई है। राणा का यह भी कहना है कि मरीजों व उनके तीमारदारों के अनुसार टेलीकंसल्टेशन सुविधा का उन्हें पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। मरीजों को मजबूरन इलाज के लिए महंगे रेट पर निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। पीजीआई चंडीगढ़ में देश के अन्य राज्यों जिसमें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर शामिल हैं, से मरीज इलाज के लिए जाते हैं। चंडीगढ़ में भी कोरोना पॉजिटिव मामलों में गिरावट देखने को मिल रही है, ऐसे में चंडीगढ़ प्रशासन को पीजीआई की ओपीडी खोल देनी चाहिए।
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