नई दिल्ली, । Coronavirus Wave: महामारी ने एक गंभीर मोड़ ले लिया जब COVID-19 की दूसरी लहर ने भारत को त्रस्त कर दिया। महामारी की दूसरी लहर ने कई लोगों की जान ले ली। इससे न सिर्फ वयस्क बल्कि युवा पीढ़ी भी प्रभावित ह
ुई। जब तीसरी लहर की संभावना लोगों को डरा रही है, इसी बीच वैज्ञानिकों में इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि अगर एक व्यक्ति, जो वायरस से संक्रमित हो चुका है, उसके शरीर में प्रतिरक्षा लंबे समय के लिए विकसित हो जाती है या फिर भी दोबारा संक्रमण का ख़तरा रहता है। कोविड से दोबारा संक्रमित होना का क्या मतलब है? जब कोई व्यक्ति किसी बीमारी से संक्रमित होता है और फिर ठीक हो जाने के बाद दोबारा उसी बीमारी से ग्रस्त हो जाता है, तो इसे दोबारा संक्रमित होना कहते हैं। अतीत के वैज्ञानिक प्रमाणों को देखते हुए, वायरस विभिन्न कारणों से पुन: संक्रमण का कारण बन सकते हैं। हालांकि, जब कोविड से पुन: संक्रमण की बात आती है, तो वैज्ञानिक अभी तक किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं। ICMR के एक अध्ययन के अनुसार, रीइन्फेक्शन तब होता है जब कोई व्यक्ति 102 दिनों के अंतराल में दो अलग-अलग मौकों पर कोरोना वायरस पॉज़ीटिव पाया जाता है। क्या कोविड-19 रोगियों में पुन: संक्रमण संभव है? ICMR द्वारा किए गए पहले के एक शोध में, 1300 मामलों में से 58 या 4.5% मामले पुन: संक्रमण के पाए गए थे। इन 58 मामलों में 102 दिनों के अंतराल में लोगों की पॉज़ीटिव रिपोर्ट आई थी। हालांकि इस विषय पर ज़्यादा शोध की ज़रूरत है। कोविड इम्युनिटी कितने समय रहती है? विभिन्न अध्ययनों में देखा गया है कि जो लोग कोविड-19 से रिकवर हो जाते हैं, उनमें एक निश्चित समय के लिए SARs-COV-2 वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के केस स्टडीज ने स्थापित किया है कि अगर वह फिर से सामने आता है, तो बीमारी से बचाने और इसकी गंभीरता को कम करने के लिए प्रतिरक्षा कोशिकाएं और प्रोटीन, रोगज़नक़ को पहचानना और मारना सीख जाते हैं। लेकिन इम्यूनिटी कितनी समय तक रहती है ये एक बड़ा सवाल है। हाल के एक अध्ययन से यह बात सामने आई कि कोविड से रिकवर हुए मरीज़ों में 10 महीने तक के लिए इम्यूनिटी बनी रह सकती है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, अगर एक व्यक्ति को कोविड-19 संक्रमण हो चुका है, तो 10 महीने तक उसका इस संक्रमण से दोबारा बीमार पड़ने का जोखिम कम हो जाता है। द लैंसेट हेल्दी लॉन्गविटी में प्रकाशित अध्ययन में 682 केयर होम निवासियों (जिनकी औसत आयु 86 वर्ष थी) और 1,429 केयर होम में कर्मचारियों की रिपोर्ट शामिल थी। इसमें पाया गया कि प्रतिभागियों का एक तिहाई हिस्से में कोविड एंटीबॉडी होने के लक्षण दिखाई दिए। केयर होम के लगभग 85 प्रतिशत निवासी, जो पहले वायरस से संक्रमित हो चुके थे, उनमें फिर से इस वायरस से बीमार पड़ने की संभावना कम थी। Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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