कोरोना वैक्सीन को लेकर किसी तरह की देनदारियों से संरक्षण चाहती है SII, सूत्रों ने दी जानकारी

Khoji NCR
2021-06-03 08:23:52

नई दिल्ली, । ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड-19 वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) व एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) विकसित करने वाला सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute of India, SII), ने जिम्मेवारियों को लेकर मुआवजे से सुरक्षा चाहती ह

। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इसके लिए SII की ओर से मांग की गई है। दरअसल विदेशी वैक्सीन निर्माताओं जैसे मॉडर्ना व फाइजर को भारत में देनदारियों यानि मुआवजा के लिए संरक्षण मिल सकती है। कोरोना वैक्सीन को भारत में लाने से पहले ये कंपनियां कानूनन सुरक्षा की मांग कर रहीं हैं। देशभर में कोरोना वैक्सीन की किल्लत के बीच अमेरिकी फर्मा कंपनी फाइजर की ओर से देनदारी संरक्षण के लिए बॉन्ड की मांग की गई है ताकि वैक्सीन से यदि किसी तरह का प्रतिकूल असर हो तो वह किसी कानूनी मामले में न फंसे। नीति आयोग के सदस्य (Health) डॉक्टर वीके पॉल ( Dr VK Paul) ने 27 मई को बताया कि सरकार अभी अमेरिकी फर्मा कंपनी के की मांग पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा, 'हम इस मांग पर विचार कर रहे हैं और लोगों के हित को देखते हुए फैसला करेंगे। यह अभी विचाराधीन है अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।' वहीं ICMR के पूर्व प्रमुख डॉक्टर निर्मल गांगुली ने ने बुधवार को बताया था, 'भारत में हुए वैक्सीनेशन के इतिहास में अब तक मुआवजे के भुगतान का मामला नहीं है और वैक्सीन के सबसे बड़े यूजर सरकार ने एसा नहीं किया है।' दरअसल, लखनऊ निवासी एक शख्स ने SII के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई है। इसमें आरोप है कि कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड की पहली खुराक लगवाने के बाद भी उनके शरीर में एंटीबॉडी विकसित नहीं हुई। प्रताप चंद्र गुप्ता का कहना है कि यह लोगों के साथ धोखा है, इसलिए इसे तैयार करने वाली कंपनी और उसे मंजूरी देने वाली संस्थानों के जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इस शख्स ने कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली SII और उसे मंजूरी देने वाली ICMR व WHO पर प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए लिखित शिकायत की है। उल्लेखनीय है कि एंटीबॉडी के संबंध में एक्सपर्ट और डॉक्टरों ने कहा है कि यदि कोरोना वैक्सीन लेने के बावजूद एंटीबॉडी नहीं बनती है तो चिंता का विषय नहीं है। वैक्सीन कंपनियों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक पहली डोज के बाद 72 से 82 फीसद असरदार होता है और कुछ लोगों में यह एंटीबॉडी विकसित भी नहीं हो पााती। यही वजह है कि वैक्सीन के बाद भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी बताया जाता है।

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