स्वामी रामदेव जी की आलोचना अवांछित एवं निंदनीय

Khoji NCR
2021-06-02 14:00:28

नारनौल जून। योग गुरु स्वामी रामदेव के ग्रह क्षेत्र नांगल चौधरी से भाजपा के विधायक डा. अभय सिंह यादव एवं भाजपा के पूर्व प्रत्याशी तथा पार्टी के महामंत्री दयाराम यादव ने एक संयुक्त प्रेस विज्

प्ति में योग गुरु स्वामी रामदेव जी के विरुद्ध आइएमए के आक्रामक रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि इस बात से कोई इनकार नहीं करता कि कोरोना महामारी के दौरान एलोपैथिक डॉक्टरों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है और इस महामारी के दौरान डॉक्टरों एवं पेरामेडिकल स्टाफ ने पूरी प्रतिबद्धता से काम किया है। यह सराहनीय भी है। परंतु इसका अर्थ यह भी नहीं है कि आयुर्वेद या दूसरी चिकित्सा पद्धतियों की कोई भूमिका नहीं है। आयुर्वेद इस देश की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है और योग गुरु स्वामी रामदेव जी ने जिस तरह से पूरी दुनिया में योग एवं आयुर्वेद चिकित्सा को आम आदमी तक पहुंचाया हैं वह अभूतपूर्व है। यह एक अकेले व्यक्ति द्वारा मानव स्वास्थ्य की दिशा में किया गया सबसे बड़ा प्रयास है। स्वामी जी के इस योगदान को पूरी दुनिया नतमस्तक करती है। ऐसे व्यक्ति पर इस तरह का आक्रमक रुख अशोभनीय एवं निंदनीय है। स्वामी जी की टिप्पणी केवल और केवल मात्र एलोपैथिक चिकित्सा प्रणाली की कुछ कमजोरियों के बारे में थी और यह कोई असाधारण बात नहीं है। क्योंकि दुनिया का कोई भी विज्ञान पूर्ण रूप से परिपूर्ण नहीं है हर विज्ञान एवं हर पद्धति की अपनी ताकत और कमजोरी होती है। इस बात पर इतना बड़ा बवाल खड़ा करने की अपेक्षा अपनी कमजोरियों के अंदर झांकना ज्यादा अच्छा होता। स्वामी जी ने जिन कमजोरियां को इंगित किया था उन कमजोरियों के अंदर झांकने की अपेक्षा इसको एक व्यक्ति विशेष के विरुद्ध अभियान के तौर पर चलाना निंदनीय है। जिस व्यक्ति को सारी दुनिया श्रद्धा से नमन करती है उस व्यक्ति को टीवी चैनल पर बैठकर अभद्र भाषा में संबोधित करना ऐसा करने वाले व्यक्ति की छोटी सोच का परिचायक है। किसी के खिलाफ भी अभद्र भाषा बोलने वाले का कभी सम्मान नहीं बढता अपितु यह बौद्धिक छिछलेपन को दर्शाता है। यह बात भी सत्य है कि आयुर्वेद असीम संभावनाओं का विज्ञान है। जिस तरीके से एलोपैथी में सरकार के समय और संसाधन लगे हैं उसी पैमाने पर आयुर्वेद को भी आगे बढ़ाना अब समय की मांग है । एलोपैथी और आयुर्वेद अथवा कोई भी अन्य चिकित्सा पद्धति एक दूसरे की विरोधी नहीं हो सकती क्योंकि हर चिकित्सा प्रणाली का मूल उद्देश्य शरीर की व्याधियों का उपचार करना है। अतः सभी चिकित्सा पद्धतियों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। जहां तक आयुर्वेद का संबंध है योग और आयुर्वेद के महत्व को तो एलोपैथी ने काफी समय से स्वीकार कर रखा है। एलोपैथी के साथ फिजियोथैरेपी को जो बढ़ावा दिया जा रहा है वह योग का ही एक स्वरूप है। अतः आई एम ए के साथियों से हमारा यह आग्रह है कि अपनी भाषा और भावनाओं पर संयम रखें। किसी भी व्यक्ति अथवा चिकित्सा पद्धति का विरोध कभी किसी की उपलब्धि नहीं हो सकता। उपलब्धि हमेशा प्रयास से होती है। सभी मिलकर चिकित्सा की दिशा में शोध पर ध्यान दें ताकि मानव कल्याण के लिए इस विज्ञान को और अधिक सुदृढ़ बनाया जा सके।

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