खोजी/सुभाष कोहली। कालका। भारत में कोरोना महामारी का असर देखने को मिला है, जिसका सबसे बड़ा शिकार मध्यम वर्ग हुआ है। रोजी रोटी छूटने से देश में लाखों लोग गरीबी के दलदल में आ फंसे हैं। यह मानना है
ामाजिक संस्था मिशन एकता समिति की प्रदेश महासचिव कृष्णा राणा का। राणा का कहना है कि दो पाटों के बीच में फंसे देश के मध्यम आय वर्ग पर पिछले सवा साल में कोविड की गहरी मार पड़ी है। इस महामारी ने लगभग 3 करोड़ लोगों को इस कैटेगरी से निकालकर निम्न वर्ग में धकेल दिया है। एक अमेरिकी रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक यह तथ्य सामने आए हैं कि भारत में कोविड से पहले लगभग 10 करोड़ लोग मध्यम वर्ग का हिस्सा थे, जिनकी संख्या घटकर अब 7 करोड़ रह गई है। राणा का कहना है कि हमारे समाज को सदियों से उच्च, मध्यम और निम्न वर्गों में बांट कर देखा जाता है। कहा जाता है उच्च वर्ग को कोई संकट नहीं आता, निम्न वर्ग को सरकारों द्वारा विभिन्न प्रकार की सहूलतें व आर्थिक मदद मिल जाती हैं। लेकिन मध्यम वर्ग पर सरकार द्वारा कोई भी ध्यान नहीं दिया जाता है, उन्हें अपने हाल पर ही छोड़ दिया जाता है। जबकि देश की आजादी में मध्यम वर्ग की बड़ी भूमिका और योगदान रहा है। इस कोरोना महामारी के दौर में सबसे ज्यादा प्रभावित मध्यम वर्ग ही हुआ है। परंतु मध्यम वर्ग ने विभिन्न प्रकार के टैक्सों के जरिए देश के आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। असल में भारत की अर्थव्यवस्था में इस वर्ग का भी अहम रोल है। यह ऐसा वर्ग है जिसे मिलता कम है और टैक्स के रूप में देश को देता ज्यादा है। राणा की देश के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री से अपील है कि मध्यम वर्गीय परिवारों पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
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