नई दिल्ली,। दिल्ली हाई कोर्ट ने कोरोना वायरस संक्रमण महामारी के दौरान निजी स्कूलों के छात्रों से वार्षिक और विकास शुल्क वसूलने पर रोक लगाने के दिल्ली सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया है। दिल्
ी हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार के इस आदेश से स्कूलों का कामकाज प्रभावित होगा। पीठ ने कहा कि निजी स्कूल छात्रों से शैक्षणिक सत्र 2020-21 का वार्षिक व विकास शुल्क वसूल सकते हैं। पीठ ने स्कूलों को 10 जून से छात्रों से छह मासिक किस्तों में इन शुल्कों को वसूलने की छूट दी है। हालांकि, पीठ ने कहा कि स्कूल शुल्क में छात्रों को 15 फीसद तक छूट दें। पीठ ने छात्रों से कहा कि वे शुल्क छह मासिक किस्तों में भुगतान करें। सरकार के आदेश को निजी स्कूलों की एक्शन कमेटी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। बता दें कि कमेटी ने दलील दी थी कि शिक्षा निदेशालय ने नियमों की अनदेखी कर आदेश जारी किया है और इससे स्कूलों का हित प्रभावित हो रहा है। याचिका पर सुनवाई के बाद पीठ ने कहा कि सरकार के शिक्षा निदेशालय को स्कूलों के फीस तय करने व वसूलने में दखल देने का अधिकार नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि शिक्षा निदेशालय ने दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम की धारा-17 के नियम की गलत व्याख्या की है। निदेशालय तब तक स्कूलों के फीस स्ट्रक्चर में दखल नहीं दे सकता, जब तक यह साबित नहीं हो जाता है कि स्कूल मुनाफाखोरी कर रहे हैं। पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए शिक्षा निदेशालय के 18 अप्रैल, 2020 और 28 अगस्त, 2020 को जारी आदेशों को निरस्त कर दिया। पीठ ने यह भी कहा कि नियमित स्कूल खुलने का वार्षिक और विकास शुल्क से कोई लेना देना नहीं है। शिक्षा निदेशालय ने ये आदेश जारी कर कहा था कि कोरोना महामारी के कारण जब तक नियमित रूप से स्कूल नहीं खुल जाते हैं तब तक वार्षिक और विकास शुल्क लेने पर रोक लगा दी थी।
Comments