नई दिल्ली । डिजिटल मीडिया को लेकर 25 मई को लागू हुए नये आइटी नियमों को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने दो टूक कहा कि अगर नये नियमों पर रोक नहीं लगाई गई है तो इसका अनुपालन करना ही होगा। न्यायमूर्ति रेखा प
ल्ली की पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार व ट्विटर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान जब ट्विटर ने दावा किया कि नये नियमों के तहत उसने स्थानीय शिकायत अधिकारी की नियुक्ति की है। इसके जवाब में केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए स्टैंडिंग काउंसल रिपुदमन सिंह भारद्वाज ने कहा कि ट्विटर ने नियमों का अनुपालन नहीं किया है। याचिकाकर्ता व अधिवक्ता अमित आचार्य ने अधिवक्ता आकाश वाजपेयी व मनीष कुमार के माध्यम से याचिका दायर कर कहा कि 25 मई से लागू हुए नये नियमों के अनुसार ट्विटर को एक स्थानीय शिकायत अधिकारी को नियुक्त करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने मांंग की कि मीडिया प्लेटफार्म को बिना किसी देरी के नियमों का अनुपालन करने के संबंध में निर्देश दिया जाये। याची ने कहा कि उन्हें नियमों का अनुपालन नहीं करने की जानकारी तब मिली जब कुछ ट्वीट के खिलाफ उन्होंने ट्विटर से शिकायत करने का प्रयास किया। उन्होंने दलील दी कि केंद्र सरकार को यह निर्देश दिया जाये कि वह नियमों का पालन करना सुनिश्चित कराये। ट्विटर ने हाल ही में कहा था कि एक महत्वपूर्ण बाजार के रूप में वह भारत के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन नए आइटी नियमों और विनियमों की आलोचना करते हुए उसने कहा था कि ये खुली सार्वजनिक बातचीत को रोकेगा। इसके जवाब में केंद्र ने कहा था कि मैसेजिंग प्लेटफार्म भारत को बदनाम करने के लिए निराधार और झूठे आरोप लगा रहा था। ट्विटर ने नए डिजिटल नियमों का पालन करने से इनकार कर दिया है। भारत के लिए यूएस-आधारित फर्म की कथित प्रतिबद्धता न केवल खोखली लगती है, बल्कि पूरी तरह से स्वयंभू है।
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