नई दिल्ली, । कोरोनावायस के हमले को लगभग एक साल होने को है, लेकिन अब भी हम कोरोना से लड़ाई में बेहद मुश्किल दौड़ में खड़े हैं। भारत में अब भी रोजाना कोरोना के 31 हजार मामले सामने आ रहे हैं। दुनिया भ
में कोरोना का कहर बदस्तूर जारी है। फिल्हाल कोरोना से बचाव के लिए मास्क सशक्त हाथियार है, लेकिन मास्क के प्रति लोगों में लापरवाही देखने को मिल रही है। कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है कि मास्क कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन की तरह है। मास्क न सिर्फ दूसरे संक्रमित लोगों से हमारी रक्षा करता है, बल्कि कई अन्य बीमारियों से भी हमें सुरक्षित करता है। मास्क देश की अर्थव्यवस्था को भी बचाता है। यदि मास्क के कारण आप बीमारी नहीं होते तो इससे बीमारी पर होने वाला खर्च बच जाता है औऱ देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। अमेरिकी डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक अगर मास्क पहनने में 15 प्रतिशत का इजाफा हो जाए तो 1 ट्रिलियन डॉलर की बचत हो सकती है। सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका में पिछले एक सप्ताह से एक लाख से ज्यादा मामले रोज सामने आ रहे हैं। ऐसे में वहां के सर्जन जनरल जेरोमे एम एडम्स ने कहा है कि अगर 95 प्रतिशत लोग मास्क लगाकर बाहर निकलें तो सिर्फ अगले तीन महीनों में कोरोना से होने वाली 1.30 लाख मौतों को रोक सकते हैं। अमेरिका के इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवोल्यूशन के अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में कोरोना से होने वाली मौतों का जो ट्रेंड है अगर यही जारी रहा तो अगले तीन महीनों में मौत का आंकड़ा 4.70 लाख तक पहुच सकता है। वर्तमान में कोरोना से अमेरिका में अब तक 2.60 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिकी सर्जन जनरल का मानना है कि इन मौतों में 1.30 लाख तक की कमी लाई जा सकती है अगर 95 प्रतिशत लोग मास्क लगाएं। यानी अगर हर कोई मास्क लगाकर बाहर निकलें तो कोरोनो से होने वाली आधी मौतों को बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के कम किया जा सकता है। रिसर्च के मुताबिक 5 से 10 माइक्रोन के बीच वाले ड्रोपलेट को कपड़े से बना मास्क आसानी से रोक सकता है। कोरोना वायरस का ड्रोपलेट आमतौर पर 5 माइक्रोन से ऊपर का ही होता है। हालांकि इससे कम माइक्रोन वाले ड्रोपलेट के लिए एन-95 मास्क कारगर होता है।
Comments