केंद्र सरकार ने गांवों में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए कमर कस ली है। दूसरी लहर में अर्धशहरी, ग्रामीण और जनजातीय इलाके भी चपेट में आ रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार ने संक्रमण रोकने और संक्रमितों
को इलाज मुहैया कराने के लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी की है। इसमें ग्राम पंचायतों, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षकों समेत अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से जागरूकता, जांच, आइसोलेशन और इलाज का विस्तृत ब्योरा दिया गया है। इसके साथ ही इन इलाकों में ऑक्सीजन सप्लाई की सुचारु व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। 35 पन्ने की गाइडलाइन में सरकार ने बताया है कि किस तरह से ग्रामीण इलाकों में कोविड आइसोलेशन सेंटर, कोविड केयर सेंटर और उपचार केंद्र खोले जाएं। ध्यान देने की बात है कि ग्रामीण इलाकों में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पंचायतों को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार ने एक हफ्ते पहले ही लगभग 8,923 करोड़ रुपये जारी किए थे। ग्रामीण इलाकों में हेल्थकेयर वर्कर्स की कमी और टे¨स्टग की बड़े पैमाने पर जरूरत को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों को आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को एंटीजन टेस्ट करने की ट्रेनिंग देने के लिए कहा है, ताकि वे गांव में बड़े पैमाने पर टेस्टिंग कर मरीजों की पहचान, उनके संपर्क में आने वालों को आइसोलेशन में रखने का इंतजाम कर सकें। कोरोना के 85 फीसद से अधिक मरीजों को हल्का संक्रमण होता है और वे घर पर ही ठीक हो जाते हैं। इसे देखते हुए सरकार ने हर गांव में थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर उपलब्ध कराने को कहा है, ताकि बुखार की जांच के साथ-साथ मरीज के ऑक्सीजन स्तर पर नजर रखी जा सके। गाइडलाइन में 94 फीसद से कम ऑक्सीजन स्तर आने पर मरीज को तत्काल नजदीक के उपचार केंद्र में पहुंचाने की सलाह दी गई है, जहां उसे समय पर मेडिकल ऑक्सीजन का सपोर्ट दिया जा सके। वहीं, घर पर रहने वाले मरीजों को चिकित्सा किट उपलब्ध कराने से लेकर उस किट में रखी जाने वाली दवाओं की सूची तक दी गई है। आदिवासी इलाकों में मोबाइल कोविड वाहन चलेंगे आदिवासी इलाकों में लोगों के दूर-दूर रहने और चिकित्सा व अन्य सुविधाओं की उपलब्धता की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने मोबाइल कोविड वाहन चलाने का निर्देश दिया है। ऐसे वाहनों में कोरोना की जांच से लेकर शुरुआती इलाज के लिए जरूरी दवाओं की किट भी होगी। टेस्ट में संक्रमित पाए जाने पर लोगों को दवाओं की किट दी जाएगी। हर जिले में बनेगी नोडल इकाई ग्रामीण इलाकों में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हर जिले में नोडल इकाई बनाने के लिए कहा गया है। इसके अलावा जिला स्तर पर 24 घंटे चलने वाले हेल्पलाइन को शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे जिले में कहीं भी, किसी भी जरूरत के लिए तत्काल संपर्क किया जा सकेगा। अलग-अलग राज्यों की स्थिति फिलहाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, यूपी, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, बिहार, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, तेलंगाना, जम्मू, गोआ, चंडीगढ़, लद्दाख में कोरोना संक्रमण की स्थिति काबू में है। जबकि केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, असम, पंजाब, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, पुडुचेरी और मणिपुर की स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। हर जिले में बनेगी नोडल इकाई ग्रामीण इलाकों में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हर जिले में नोडल इकाई बनाने के लिए कहा गया है। इसके अलावा जिला स्तर पर 24 घंटे चलने वाले हेल्पलाइन को शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे जिले में कहीं भी, किसी भी जरूरत के लिए तत्काल संपर्क किया जा सकेगा। अलग-अलग राज्यों की स्थिति फिलहाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, यूपी, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, बिहार, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, तेलंगाना, जम्मू, गोआ, चंडीगढ़, लद्दाख में कोरोना संक्रमण की स्थिति काबू में है। जबकि केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, असम, पंजाब, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, पुडुचेरी और मणिपुर की स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। हर गांव में आशा वर्कर्स करें निगरानी हर गांव में जुकाम-बुखार के मामलों की निगरानी आशा वर्कर्स करें। इनके साथ हेल्थ सैनिटाइजेशन और न्यूट्रिशन कमेटी भी रहेगी। जिन मरीजों में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं, उन्हें ग्रामीण स्तर पर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) तत्काल फोन पर देखें। पहले से गंभीर बीमारियों से पीड़ित संक्रमितों या ऑक्सीजन लेवल घटने के केसों को बड़े स्वास्थ्य संस्थानों को भेजा जाए। हर स्वास्थ्य केंद्र व उप केंद्रों पर हो कोरोना की जांच जुकाम-बुखार और सांस से संबंधित इन्फेक्शन के लिए हर उपकेंद्र पर ओपीडी चलाई जाए। दिन में इसका समय निश्चित हो। संदिग्धों की पहचान होने के बाद उनकी स्वास्थ्य केंद्रों रैपिड एंटीजन टेस्टिंग (RAT) जांच हो या फिर उनके सैंपल नजदीकी कोविड सेंटर्स में भेजे जाएं। स्वास्थ्य अधिकारियों और एएनएम को भी RAT की ट्रेनिंग दी जाए। हर स्वास्थ्य केंद्र और उप केंद्र पर RAT की किट उपलब्ध कराई जाए। कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जाए और क्वारेंटाइन की सलाह दें स्वास्थ्य केंद्रों पर टेस्ट किए जाने के बाद मरीज को तब तक आइसोलेट होने की सलाह दी जाए, जब तक उनकी टेस्ट रिपोर्ट नहीं आ जाती। जिन लोगों में कोई लक्षण नहीं नजर आ रहा है, लेकिन वे किसी संक्रमित के करीब गए हैं और बिना मास्क या 6 फीट से कम दूरी पर रहे हैं, उन्हें क्वारेंटाइन होने की सलाह दें। इनका तत्काल टेस्ट भी किया जाए। कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जाए। हालांकि ये संक्रमण के फैलाव और केसेज की संख्या पर निर्भर करता है, लेकिन इसे आईसीएमआर (ICMR) की गाइडलाइंस के हिसाब से किया जाए। 80-85 फीसद मामले बिना लक्षणों वाले करीब 80-85 फीसद मामले बिना लक्षणों वाले या बेहद कम लक्षणों वाले आ रहे हैं। ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती किए जाने की जरूरत नहीं है। इन्हें घरों या कोविड केयर सेंटर में आइसोलेट किया जाए। मरीज होम आइसोलेशन के दौरान केंद्र की मौजूदा गाइडलाइंस का पालन करें। परिवार के सदस्य भी गाइडलाइन के हिसाब से ही क्वारेंटाइन हों। होम आइसोलेशन में ऐसे हो मॉनिटरिंग कोरोना मरीज के ऑक्सीजन लेवल की जांच बेहद जरूरी है। इसके लिए हर गांव में पर्याप्त मात्रा में पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर होने चाहिए। आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और गांवों के स्वयंसेवियों के जरिए एक ऐसा सिस्टम डेवलप किया जाए। ये सिस्टम उन मरीजों को जरूरी उपकरण दिलाने का काम करे, जिनकी टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटव है। हर बार इस्तेमाल के बाद थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर को अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर में भीगे कपड़े से सैनिटाइज किया जाए। मरीजों को होम आइसोलेशन किट मुहैया करवाई जाए क्वारेंटाइन और होम आइसोलेशन में गए मरीजों के बारे में लगातार जानकारी के लिए फ्रंट लाइन वर्कर्स, स्वयंसेवी और शिक्षक दौरा करें। इस दौरान वे संक्रमण से बचने के सभी उपायों और गाइडलाइंस का पालन करें। होम आइसोलेशन किट मुहैया करवाई जाए। इनमें पैरासीटामॉल 500mg, आइवरमेक्टीन टैबलेट, कफ सिरप, मल्टीविटामिन भी शामिल है। इसके अलावा आइसोलेशन में किन सावधानियों का पालन करना है, इसका एक पम्फलेट भी दिया जाए। दवाओं, निगरानी आदि की जानकारी भी दी जाए। एक कॉन्टैक्ट नंबर भी दिया जाना चाहिए, जिस पर स्थिति बिगड़ने या सुधरने या फिर डिस्चार्ज के संबंध में जानकारी ली जा सके। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें मरीज और उसकी देखरेख कर रहे लोग लगातार स्थिति की निगरानी करें। अगर गंभीर लक्षण होते हैं तो तुरंत मेडिकल अटेंशन की जरूरत है। सांस लेने में तकलीफ, 94 फीसद से नीचे ऑक्सीजन का लेवल आने पर, सीने में लगातार दबाव या दर्द होने पर, दिमागी भ्रम या भूलने की स्थिति में तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। अगर मरीज का ऑक्सीजन लेवल 94 फीसद से कम होता है तो उसे तुरंत ऐसे स्वास्थ्य केंद्र में भेजा जाए, जहां ऑक्सीजन बेड की सुविधा हो।
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