ख़ोजी एनसीआर/ सोनू वर्मा नूंह। कोरोना के चलते माता-पिता का साया उठने से बेसहारा हुए की जानकारी अपने जिले की बाल कल्याण समिति को दें। ऐसे अनाथ बच्चों को किसी भी व्यक्ति द्वारा सीधे गोद लेना या द
ना दोनों ही अपराध की श्रेणी में आते हैं। जिनके लिए कानून में सजा का प्रावधान है। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर इस तरह के भ्रामक प्रचार चल रहे हैं। जिनमें कोविड से अनाथ हुए बच्चों को गोद लेने की अपील की गई है। बाल कल्याण समिति नूंह के अध्यक्ष राजेश छोकर ने बताया कि प्रतिदिन सोशल मीडिया पर चल रहे भ्रामक प्रचारों के झांसे में न आएं। ऐसे अनाथ बच्चों के पुनर्वास करने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है तथा गोद लेने की एक कानूनी प्रक्रिया है। जिसके लिए स्टेट अडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी (sara) की वेबसाईट पर जाकर अप्लाई करना होगा। ऐसे बच्चों को भावनात्क या अन्य किसी प्रकार के आवेश में किसी भी व्यक्ति को गोद न दें। हाल ही में इस संबंध में हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा भी ऐसे भ्रामक प्रचारों पर संज्ञान लिया गया है। कोविड के दौर में जिन बच्चों के माता-पिता कोरोना पॉजिटिव हैं, आईसोलेशन में हैं, किसी अस्पताल में भर्ती हैं या फिर उनकी मौत हो चुकी है तो ऐसे बच्चों की पूरी देखभाल का जिम्मा जिला बाल संरक्षण ईकाई व बाल कल्याण समिति का है। ऐसे बच्चों की जानकारी तुरंत चाईल्ड हेल्प लाईन 1098 पर दें। ऐसे बच्चों को चाईल्ड हेल्प लाईन द्वारा तुरंत सहायता प्रदान की जाएगी। यदि बच्चे को किसी आश्रय की जरूरत है तो बाल कल्याण समिति द्वारा उन बच्चों को जेजे एक्ट के तहत आश्रय दिलाया जाएगा। किसी भी अनाथ बच्चे को सीधे गोद देना कानूनन जुर्म है और इसके लिए सजा का प्रावधान है। यदि किसी व्यक्ति को बच्चा गोद लेना है तो इसके लिए उन्हें कानूनी प्रक्रिया अपनानी होगी। बच्चा गोद लेने के लिए इच्छुक व्यक्ति को सभी जानकारी www.cara.nic.in पर मिलेगी। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर भ्रामक प्रचार चल रहा है कि कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों को गोद लेकर उनकी सहायता करें। जबकि कानून के मुताबिक बच्चे को सीधे गोद देना अपराध की श्रेणी में आता है। इसलिए कोई भी भ्रामक प्रचारों के झांसे में न आए।
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