खोजी/सुभाष कोहली। कालका। देशभर में कोरोना की दूसरी लहर के बीच अस्पतालों में बेड, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की कमी के चलते हाहाकार मचा हुआ है, देखने को मिल रहा है। आज इस महामारी के दौरान हर दूसरा व्य
क्ति ऑक्सीजन के अभाव में मर रहा है। इसलिए अभी समय है आने वाली पीढ़ी को इस समस्या से बचाने के लिए एक पौधा जरूर लगाएं, ताकि हमारे बच्चे तो स्वच्छ हवा में सांस ले सकें। मिशन एकता समिति की प्रदेश महासचिव कृष्णा राणा का कहना है कि अगर हर व्यक्ति कम से कम एक वृक्ष लगाता तो देश में कभी भी ऑक्सीजन की कमी नहीं होती। राणा का कहना है कि जहां पहले पेड़ों से ऑक्सीजन मिलती थी, अब पेड़ों को काटकर फैक्ट्रियों, हाईवे, मॉल, बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें आदि का निर्माण होने लग गया है। समय के साथ आधुनिक होती दुनिया ने पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की, जिस कारण पर्यावरण में ऑक्सीजन की कमी होती गई। राणा का कहना है कि विभिन्न प्रकार के पेड़ों में कई औषधीय गुण हैं। पेड़ पर्यावरण को साफ रखने में मदद करता है, एक तरह से नेचुरल एयर प्यूरीफायर है। पेड़ हवा में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है तथा हवा में मौजूद बैक्टीरिया को मारता है। पीपल का पेड़ किसी अन्य पेड़ की तुलना में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन का निर्माण करता है तथा दिन रात 24 घंटे ऑक्सीजन पैदा करता है, जितना कई फैक्ट्रीज भी नहीं कर पाती हैं। इस कोरोना महामारी के समय में हमने यह अहसास कर लिया है कि हमारे जीवन में ऑक्सीजन की कितनी महत्वता है। राणा का कहना है कि दिल्ली में आज सांसों का संकट इसलिए है कि वहां विकास के चक्कर में प्रकृति को भूल ही गए। यदि आज हमने प्रकृति के महत्व को नहीं समझा, तो इसके भयावह परिणाम हो सकते हैं। इस खतरे से बचाने के लिए घर-घर वृक्षारोपण क्रांति एक कारगर उपाय है।
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