मानव शरीर का मैकेनिज्म कुछ ऐसा है कि यह आंशिक रूप से कुछ पोषक तत्वों का निर्माण खुद ही कर लेता है, लेकिन ओमेगा-3 फैटी एक ऐसा प्रमुख तत्व है, जिसके लिए व्यक्ति को भोजन पर निर्भर रहना पड़ता है। यह प
ली-अनसैचुरेटेड फैट का ही एक रूप है। यह कोशिकाओं की बाहरी परत से जुड़ा होता है। आमतौर पर इसे तीन श्रेणियों में बांटा जाता है- एएलए- पेड़-पौधों से पाया जाने वाला, डीएचए-सी फूड से मिलने वाला और ईपीए-नॉनवेज (मटन, चिकन, अंडा और नदी की मछली) से मिलने वाला। अतः खानपान के मामले में लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में ओमेगा-3 पोषण मिलता रहे। क्यों है जरूरी यह बच्चों के शारीरिक-मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी है। यह व्यक्ति को कॉर्डियो वैस्कुलर डिज़ीज और हड्डियों से जुड़ी बीमारियों से बचाव में मददगार होता है। प्रेग्नेंसी में गर्भस्थ शिशु के ब्रेन और आंखों के विकास के लिए ओमेगा-3 युक्त आहारा का सेवन जरूरी है। यह बच्चों को सेरिब्रल्स पॉल्सी, ऑटिज्म और एडीएचडी जैसे गंभीर मानसिक रोगों से बचाने में भी मददगार होता है। जन्म के बाद भी इससे युक्त आहार का सेवन बच्चों के ब्रेन और नर्वस सिस्टम के विकास में मददगार होता है, इससे उनमें सीखने की क्षमता भी बढ़ती है। प्रमुख स्त्रोत नॉन वेजिटेरियन लोगों के लिए फिश, अंडा और सी फूड ओमेगा-3 का सबसे अच्छा स्त्रोत है और इसका सप्लीमेंट भी फिश कॉर्ड लिवर ऑयल से तैयार किया जाता है। इसके अलावा शाकाहारी लोगों के लिए फ्लैक्स सीड्स (अलली के बीज), सेब-नाशपाती, स्ट्राबेरी, रसभरी, ब्लूबेरी जैसे सभी फाइबर युक्त फलों, बादाम, अखरोट, मूंगफली, सूरजमुखी, सरसों, सोयाबीन, ब्रॉक्ली, शलजम और सभी हरी सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। मेथीदाना को पानी में भिगोकर स्प्राउट्स तैयार करें, शाकाहारी लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। बच्चों के ब्रेन के विकास के लिए उन्हें प्रतिदिन 4-6 बादाम या अखरोट खिलाना फायदेमंद साबित होता है।
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