हथीन/माथुर : जिले में कोरोना का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। इसके चलते अस्पतालों पर जाना अत्यधिक बोझ आ पड़ा है। ऐसे वक्त में नर्सों का काम बहुत अहम हो गया है। यह खुद की बिना परवाह किए कोरोंना के सं
क्रमित मरीजों का इलाज करने में तल्लीन है। इन्हें ना तो अपने परिवार से दूर होने का गम है और ना ही इन मरीजों की देखभाल करने में कोई डर। नागरिक अस्पताल पलवल में ऐसा ही नर्सिंग स्टाफ है अपनी जान जोखिम में डालकर दिन-रात आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कोरोना मरीजों के इलाज व उनकी देखरेख में लगा हुआ है। नागरिक अस्पताल में बने आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करीब 100 कोरोना मरीजों की देखभाल के लिए दो नर्स दर्शना और सुषमा की ड्यूटी लगाई गई है। यह दोनों अलग-अलग शिफ्ट में कार्य कर रहे हैं। संवाददाता से बातचीत में नर्स दर्शना बताती हैं कि यह ड्यूटी करने में हमें भी खतरा है लेकिन मरीजों की सेवा व उनकी देखभाल करना हमारा कर्तव्य है। यदि हम लोग ही इनसे दूर भागेंगे तो इनकी देखभाल व इलाज कौन करेगा। उन्होंने बताया कि सुबह 7 बजे ड्यूटी पर आ जाती है और रात 8 बजे तक काम करती है। इसके चलते में बच्चों को समय ही नहीं दे पाती हूं। दर्शना व सुषमा बताती हैं कि अस्पताल से जब भी घर लौटती हैं उनके बच्चे उनकी तरफ दौड़ पड़ते हैं, लेकिन वो उन्हें गले नहीं लगा पाती। यह सब आसान नहीं होता, लेकिन करना पड़ता है। दर्शना बताती है कि इस विषम परिस्थिति में पति का बहुत साथ मिल रहा है। काम में व्यस्त होने के चलते बच्चों के खाने पीने का ध्यान पति ही रख रहे हैं। सुषमा बताती हैं कि जब कोरोना से संक्रमित मरीज अस्पताल से डिस्चार्ज होता है तो वह खुश होती हैं। हालांकि पिछले 1 महीने से कोरोना से मरने वालों की बढ़ती संख्या से वह बहुत दुखी है, लेकिन उन्होंने अपना हौसला नहीं छोड़ा और निरंतर मरीजों की सेवा में लगी हुई है । सुषमा और दर्शना कहती हैं कि हैल्थ केयर को सिर्फ डॉक्टरों से जोडक़र देखने की एक आम प्रवृत्ति है। लोग डॉक्टरों का शुक्रिया अदा करते हैं लेकिन नर्सों को भूल जाते हैं जो लोग अस्पताल में भर्ती होते हैं सिर्फ वही नर्सों के काम को कुछ समझ पाते हैं। लेकिन इस महामारी के बाद हर किसी को हमारे काम के बारे में भी पता चल रहा है। अगर लोग नर्सों के काम की तारीफ करते हैं, तो यह वाकई में बहुत अच्छा है। हमारे काम को सम्मान देने के लिए लोग हमें याद रखें और हमारा नाम ले ।
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