सोहना,(उमेश गुप्ता): यहां पर कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना संक्रमितों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। इस बार ये लहर जानलेवा साबित हो रही है। स्थानीय के साथ-साथ जिले भर में कोरोना संक्रमण से मौत के
ंकड़े लगातार बढ़ रहे है। औसत निकाली जाए तो सोहना में अप्रैल महीने से हर रोज औसतन 3 से 4 लोगों की जानें कोरोना संक्रमण की चपेट में जाने से जा रही है। यह अलग बात है कि इस मामले में मृतक के परिजनों के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग भी कुछ कहने व सही आंकड़े देने से बच रहा है लेकिन आपसी बातचीत के दौरान यही सामने आ रहा है कि सबसे ज्यादा मौतें कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से हो रही है। हालांकि चालू वर्ष के फरवरी महीने में यहां पर कोरोना संक्रमण वायरस की रफ्तार बेहद कम रही और कोरोना को काफी हद तक नियंत्रण में माना जा रहा था। अस्पतालों में भी बैड खाली पड़े रहे। उस वक्त प्रशासन ने भी कोरोना संक्रमण को घटते देख विभिन्न अस्पतालों में बैडों को रिजर्व करने का प्रतिशत ही घटा दिया था और कोरोना जांच भी कम कर दी गई। लोगों ने भी अपनी कोरोना जांच कराने को अहमियत देना कम कर दिया लेकिन मार्च महीने के 2 सप्ताह बीतने के बाद कोरोना की दूसरी लहर अचानक तेज होना शुरू हो गई और रोजाना शुरूआत में कई-कई तो बाद में कई-कई दर्जन कोरोना संक्रमितों का जांच में पता लगना शुरू हो गया। अप्रैल महीना शुरू होने के साथ ही कोरोना संक्रमितों की तादाद तेजी से बढ़ती गई और बीते 14 महीने के कोरोना संक्रमण मामलों में तमाम रिकार्ड टूट गए। यहां पर आए दिन कोरोना संक्रमण के साथ बढ़ रही मौतों का आंकड़ा देख हर कोई खौफजदा नजर आ रहा है। लोग ऑक्सीजन व अन्य संसाधनों की कमी के बीच कोई चारा ना देख अपनों का साथ छोड़ रहे है। हालात ये है कि पहले जहां सप्ताह में कोरोना संक्रमण से एक-दो लोगों की मौत हो रही थी, वह रफ्तार अब तेज हो गई है। एक-एक दिन में कोरोना संक्रमण से कई-कई लोगों की मौत होने की बात सामने आ रही है। सोशल मीडिया पर कोरोना संक्रमण से हो रही मौतों की जानकारी को लोग आपस में एक-दूसरे से शेयर कर रहे है और तभी पता पड़ रहा है कि फला गांव अथवा शहर के वार्ड अथवा गली-मोहल्ले, घर में कोरोना संक्रमण से किसी की मौत हो गई है। हालात ये है कि अस्पतालों में रोगियों को बैड नही मिल रहे है। जो पहले से दाखिल है, उनको ऑक्सीजन का अभाव झेलना पड़ रहा है तो ऑक्सीजन के अभाव में अस्पतालों ने नए रोगियों को दाखिल करने से परहेज बरतना शुरू कर दिया है। ऐसे हालातों में परिजन परेशान है कि वह अपने श्वजन की जिंदगी बचाने के लिए उसे कहां लेकर जाए? किस अस्पताल में लेकर जाए, जहां बैड व ऑक्सीजन दोनों सुविधाएं आसानी से उपलब्ध रहे लेकिन उन्हे कोई रास्ता नजर नही आ रहा है। परेशान परिजन अपने श्वजन की जान बचाने के लिए इधर से उधर भटक रहे है।
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