किसान नेताओं की रिहाई में दोषी अधिकारियों पर अवमानना याचिका करेंगे दाखिल: डॉ० शमशेर

Khoji NCR
2020-11-27 11:10:09

जयवीर फोगाट 24 नवंबर को मध्य रात्रि बिना नोटिस एवं बिना वारंट के मात्र पूर्वाग्रह अंदेशे के आधार पर सैकड़ों गिरफ्तार किसान नेताओं की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार हनन के विरुद्ध माननीय हाई कोर

ट पंजाब एंड हरियाणा के समक्ष बतौर किसान प्रतिनिधि हमने बंदी प्रत्यक्ष परण याचिका दाखिल की थी जिसने पुलिस महानिदेशक हरियाणा पुलिस, मुख्य सचिव हरियाणा सरकार इत्यादि को स्टेटस रिपोर्ट के साथ कोर्ट ने तलब किया । महानिदेशक के प्रतिनिधि के तौर पर DIG कानून व्यवस्था राकेश आर्य ने जवाबी हलफनामा पेश किया। शपथ पत्र के अनुसार पूर्वाग्रह, सतर्कता विभाग की अंदरूनी रिपोर्ट, अंबाला कुरुक्षेत्र के किसान नेताओं पर गंभीर धाराओं में चल रहे मामलों का हवाला देते हुए दबिश देकर बिना कानूनी प्रक्रिया अवैध गिरफ्तारियां को वैध ठहराने का प्रयास किया गया जिसका किसानों के अधिवक्ता श्री प्रदीप रापड़िया ने आपत्ती एवं असंतोष जाहिर करते हुए आज न्यायालय में चल रही प्रक्रिया में कड़ा विरोध किया। शपथ पत्र के उल्टा मध्य रात्रि के समय घर से गिरफ्तार होने के तथ्य के बावजूद किसानों को सार्वजनिक स्थानों पर मीटिंग करते हुए भीड़ को उकसा ते हुए गलत पुलिस रिपोर्ट के आधार पर न केवल गिरफ्तारी की गई जबकि प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के सामने S 107/51 CrPC मैं हाथों-हाथ जमानत प्रक्रिया के लिए गिरफ्तार व्यक्तियों को मेडिकल और अधिवक्ता की सेवाओं का प्रतिनिधित्व स्वीकार नहीं किया गया। D. K Bassu सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले में आवश्यक मांनको को दरकिनार कर सीधे जेल हवालात में भेज दिया गया। गिरफ्तार किसानों में बिना किसी किसान संगठन के पदाधिकारी नहीं होने के बावजूद साधारण किसानों को भी गलत प्रक्रिया से गिरफ्तार किया गया और अभी तक कस्टडी में रखा हुआ है। जिला झज्जर से किसान नेता प्रदीप धनखड़, मास्टर जयकरण मांडोठी, प्रवीण दलाल आदि को 24 नवंबर एक दिन SDM निगरानी हिरासत में दिखाया गया है जबकि 3 दिन के बाद भी किसान नेता पुलिस हिरासत में अवैध रूप से रखे जा रहे हैं। 26 तारीख को भी सैकड़ों किसानों की गिरफ्तारी इसी तर्ज पर जा रही है। अन्य आम नागरिकों की तहत देश का संविधान किसानों को भी देश के किसी हिस्से में आवागमन, शांतिपूर्वक सभा, अभिव्यक्ति का आजादी मौलिक अधिकार देता है लेकिन किसान आंदोलन को कुचलने के लिए सरकार देश के कानून और संविधान को ताक पर रख रही है। याचिका में प्रत्येक जिले में अवैध रूप से हिरासत में रखे हुए किसानों की रिहाई के लिए वारंट अफसर नियुक्ति की मांग रखी गई है।गिरफ्तार किसानों की गलत रिपोर्ट तैयार करने वाले अन्वेषक अधिकारी, संबंधित न्यायिक प्रक्रिया की छूट देने वाले एसडीएम एवं रिहाई में देरी के लिए दोषी अधिकारियों के विरुद्ध किसान अवमानना की याचिका दायर करेंगे। लंबित याचिका के निपटारे के साथी गलत तरीके से हिरासत में रखे हुए किसान उचित मुआवजे के लिए भी स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही तय करेंगे। सर्व खाप प्रतिनिधि मंड

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