फसल अवशेष न जलाने की किसानों से अपील नूंह, उपायुक्त धीरेन्द्र खडग़टा ने जिला के किसानों से फसल अवशेष ना जलाने का आह्वान किया है और कहा है कि खेतों में फसल अवशेष जलाने से जहां गंभीर वायु प्रदूषण
की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, वही श्वास संबंधी रोग भी होने की आशंका लगातार बनी रहती है। उपायुक्त ने कहा कि कार्बनिक पदार्थ, जीवांश पदार्थ मृदा संसाधन का एक महत्वपूर्ण घटक है, परन्तु फसल अवशेषो को जलाने से यह अमुल्य पदार्थ नष्ट हो जाता है। जिसके कारण मृदा उर्वरता व उत्पादकता कम हो जाती है। फसल अवशेषो को जलाने से मृदा का तापमान बढ जाता है, जिससे मृदा मे उपस्थित सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते है, जो कि मृदा जैव विविधता के लिये गम्भीर चुनौती है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाने पर भारी मात्रा मे हानिकारक गैसे मिथेन, कार्बनडाई ऑक्साईड, सल्फरडाई ऑक्साईड आदि गैसे छोडी जाती है। परिणाम स्वरूप पृथ्वी का तापमान बढता है, जिसके परिणाम स्वरूप जलवायु मे विभिन्न परिवर्तन होते है। कृषि अवशेषों को जलाने से निकलने वाली विषैली गैसौ से कैंसर, अस्थमा एवं अन्य श्वास सम्बन्धित रोग हो जाते है। कृषि अवशेषो को जलाने से मृदा का तापमान बढने से मृदा मे उपस्थित मित्र कीट व फफून्द नष्ट हो जाते है। जिसके परिणम स्वरूप कींटो व फफून्द को नियन्त्रित करने के लिये जहरीले कीटनाशको का उपयोग करना पडता है, जिससे मृदा भी प्रदूषित होती है तथा साथ ही उत्पादन लागत भी बढ जाती है। उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने फसल अवशेष जलाने के मामले को बेहद गंभीरता से लिया है और इस संबंध में जिला के सभी उपायुक्तों को पत्र भी प्रेषित किया है। पत्र के माध्यम से कहा गया है कि फसल अवशेष जलाने के संबंध में निगरानी रखी जाए। उपायुक्त धीरेन्द्र खडग़टा ने कहा कि उक्त पत्र के आधार पर जिला के सभी ग्राम सचिवों व पटवारियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वे कटाई सीजन के दौरान फसल अवशेष जलाने के संबंध में विशेष निगरानी रखें। अगर कोई मामला उनके नोटिस में आता है तो ऐसी घटना की सूचना 30 मिनट के भीतर दें। अगर संबंधित ग्राम सचिव अथवा पटवारी इस कार्य में विफल रहते हैं तो इसे ड्यूटी के प्रति घोर लापरवाही मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। ये कर सकते है किसान:- उपायुक्त धीरेन्द्र खडग़टा ने कहा है कि किसान फसलों के अवशेषों को मिट््टी को पलटने वाले हल से मिट््टी मे मिला दे, जिससे कार्बनिक क्षमता बढेगी। फसलों के अवशेषों को स्ट्रा रीपर से भूसा बनाकर अपने पशुओ के लिए भंडारण कर सकते हैं। अवशेषों को गोबर की खाद के साथ मे मिलाकर वर्मी कंपोस्ट बना सकते है। बगीचे के थांवलो के चारा मे डालकर मल्च का प्रयोग करते हुए पानी की वाष्पीकरण को रोक सकते है। बिजली बनाने वाली बायोमास कम्पनी को इसे बेचा जा सकता है।
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