फसल विविधिकरण के लिए सब्सीडी योजना लागू नूंह, उपायुक्त धीरेन्द्र खडग़टा ने किसानों से अपील की है कि रबी फसल की कटाई के बाद अब खरीफ फसलों की बुआई की तैयारी करने का समय आ गया है और धान के स्थान पर
म पानी से तैयार होने वाली अन्य वैकल्पिक फसलें जैसे कि मक्का, अरहर, ग्वार, तिल, ग्रीष्म मूंग (बैशाखी मूंग) व अन्य फसलों की बुआई करें। उन्होंने कहा कि फसल विविधीकरण से जल संरक्षण होगा। उपायुक्त ने कहा कि यह हमारा नैतिक दायित्व है कि हम भावी पीढ़ी के लिए पानी की बचत सुनिश्चित करने के साथ-साथ सरकार के ‘जल ही जीवन है’ अभियान को भी आगे बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि दिन-प्रतिदिन गिरता भू-जल तथा भू-जल का अत्यधिक दोहन हमारे लिए चुनौती बन गए हैं और आने वाली पीढिय़ों के लिए इन्हीं चुनौतियों का समाधान निकालने की हमने शुरूआत की है। दुनिया भर में ऐसा माना जा रहा है कि यदि तीसरा विश्व युद्ध होगा तो वह पानी के लिए होगा। इसलिए हमें भावी पीढ़ी के लिए अभी से ही पानी का संरक्षण करना होगा। उन्होंने कहा कि अगर हम अपने जीवन में भावी पीढ़ी के लिए कुछ छोडकऱ जाएं तो पानी से बेहतर कोई विकल्प नहीं। उन्होंने कहा कि किसान न केवल फसल विविधीकरण को अपनाएं बल्कि पड़ोसी गांव के किसानों को भी धान की बजाय अन्य वैकल्पिक फसलें की तरफ बढऩे के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि खरीफ फसल बुआई की तैयारी करने से पहले ही यह तय कर ले कि हमें धान नहीं बल्कि अन्य वैकल्पिक फसलें अपनानी होगी ताकि हम भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य के लिए पानी की बचत सुनिश्चित कर सकें। उपायुक्त ने कहा कि धान के स्थान पर अन्य फसलों जैसे मक्का, कपास, बाजरा, दाल और सब्जियों चना एवं चारा को प्रोत्साहन करने के लिए राज्य सरकार ने सब्सिडी योजना भी लागू की है। उन्होंने कहा कि फसल विविधीकरण के लिए 7 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें आमजन तक यह संदेश देना होगा कि पानी बचाना है तो धान नहीं लगाना है बल्कि धान के स्थान पर इसके बराबर आमदनी वाली फसलें उगानी हैं।
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