पलवल (मुकेश कुमार हसनपुर) :- हरियाणा गर्वमैन्ट पी.डब्ल्यू. डी. मैकेनिकल वर्कर्ज यूनियन रजि.41 मुख्यालय चरखी दादरी (सम्बन्धित सर्व कर्मचारी संघ) की पानी के संरक्षण हेतु जन जन जागरण अभियान। आज द
नांक 26-3-2021को पब्लिक हैल्थ ब्रांच पलवल की मीटिंग यूनियन कार्यालय में ब्रांच प्रधान बालकिशन शर्मा की अध्यक्षता में हुई जिसमें पीडब्ल्यूडी मैकेनिकल वर्कर्स यूनियन रजि.न.41के राज्य कमेटी सदस्य व सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा जिला सचिव योगेश शर्मा ने बताया कि जल है तो कल है, जल ही जीवन है, पानी प्राकृतिक की देन है यह अनमोल पदार्थ है जल के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना असंभव है मानव शरीर में 70% जल होता है पृथ्वी पर सभी प्राणियों पशु पक्षियों तथा वनस्पतियां पेड पौधों के लिए जल आवश्यक है। महाभारत में कहां गया था जल प्रकृति की ओर से मानव को मिला अनूठा उपहार है जो भोजन से अत्यधिक महत्वपूर्ण है यह ऐसा तत्व है जिसका जिवन से सीधा सम्बन्ध हैं। जल से बडा वरदान नहीं है तथा जो लोग अपने लिए आध्यात्मिक दौलत अर्जित करना चाहते है उन लोगों को जल का दान करना चाहिए जिन्हें इसकी जरूरत है।पानी का कोई विकल्प नहीं है।जबकि दूसरी वस्तुओं का विकल्प मौजूद हैं।इसलिए हमें पानी के कम इस्तेमाल पर जोर देना चाहिए। पानी पर समाज का अधिकार है कुछ लोगों को इस प्राकृति के उपहार के दोहन कि छूट नहीं मिलनी चाहिए।पानी मुनाफा कमाने का साधन नहीं है हमारी पृथ्वी पर उपलब्ध कुल जल में से 97% जल खारा हैं।दो प्रतिशत जल बर्फ के रूप में गलेशियरो मे उपलब्ध हैं।धरती मे हमारे पीने के लिए एक प्रतिशत से भी कम जल उपलब्ध हैं। इसको भी हम प्रदूषित करके पीने के पानी की मात्रा को घटा रहे हैं।हम जल का मुख्य उपयोग पीने के लिए करते है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में 80% बीमारियां अशुद्ध जल के कारण फैलती है।भारत मे विश्व की 16% आवादी रहती हैं जबकि इसके पास दूनिया की दो प्रतिशत पानी का स्त्रोत है। भारत में 83प्रतिशत पानी का उपयोग कृषि के लिए होता हैं। एक वर्ष मे कुल100घन्टे ही वर्षा होती हैं।जल संकट का समाधान इन्हीं सौ घन्टों मे होने वाली वर्षा के पानी के संचयन, कुशल प्रयोग एवमं सुप्रबन्धन द्वारा सम्भर्व हैं। औसत अनुवम के अनुसार भारत में शहरी क्षेत्रों में एक दिन में एक व्यक्ति पीने के लिए 3लीटर खाने के लिए4लीटर नहाने के लिए20लीटर बर्तन धोने के लिए40लीटर कपडे धोने के लिए40लीटर शौचालयों पर40लीटर बगीचे में23लीटर कुल170लीटर पानी का इस्तेमाल करता है।सबसे अधिक पानी शौचालयों में लगता है। पिछले दशक में उदारीकरण नीजिकरण के दौर में पानी के क्षेत्र में निजी कम्पनियां प्रवेश कर गयीं।नीजी क्षेत्र में बोतल बन्द पानी पीने के प्रचलन को ------------ 1990-91 में मात्र 18-20 लाख बोतल बन्द पानी बिकता था जो अब एक हजार लाख लीटर से अधिक प्रतिवर्ष का आंकड़ा पार कर चुका है भारत वर्ष में चार हजार करोड़ प्रतिवर्ष तक पंहुच चुका है हमारे देश में 7031 रेलवे स्टेशन हैं4905 रेलगाड़ियां चलती हैं हर साल 5अरब 11लाख से अधिक यात्री सफर करते हैं हर यात्री बोतल बन्द पानी खरीदता है जो10अरब से अधिक लीटर पानी बनता है। भूमि गत जल के उपयोग के मामले में भारत दुनिया में सबसे ज्यादा सिचित कृर्षि और पीने के पानी की85फीसदी आपूर्ति इसी पर निर्भर करती हैं। ग्रामीण व शहरी भारत में पानी के स्त्रोत काफी सीमित है पानी की बढती मांग को पूरा करने के लिए पिछले पांच दशकों में पूरे देश में लाखों निजी बोरवेल व कुओं की बगैर सोचे विचारे खुदाई हुई हैं।इससे भूमि जल स्तर घटा और कई तरह की सामाजिक व आर्थिक परेशानियों भी बढी हैं। हरियाणा का क्षेत्रफल की दृष्टि से देश में20वाँ स्थान है यहां पर22जिले है72सब डिवीजन है 93तहसील है 6848गांव है।हरियाणा में भूमि गत जल का अन्धाधुन्ध दोहन हो रहा है यह गिरावट10फूट तक कि हैं दक्षिण हरियाणा में नारनौल बाढडा,लोहारू, सतनाली, नांगल चौधरी, कनीना, निजामपुर आदि ईलाकों में 500से1000फूट पर पानी निकलता है। नलकूपों की हौदियां की गहराई मानव जीवन के लिए खतरा बनती जा रही हैं सम्बरसीवर पम्प लगाना टिकाऊ समाधान नहीं है इससें और समस्या बढ जाती हैं। पानी के संकट को दूर करने का एक मात्र उपाय है कि इसका उपयोग जरूरत के अनुसार होना चाहिए। हरियाणा में गिरता जल स्तर ----–----–----------–-------– हरियाणा में भूमि जल की निकासी तेजी से हो रही हैं एक अध्ययन के अनुसार पानीपत, गुडग़ांव, कैथल, महेन्द्रगढ़, रेवाड़ी, फरीदाबाद, मेवात, अम्बाला, पलवल, करनाल, कुरुक्षेत्र को भूमिगत कि निकासी की दृष्टि से डार्क जौन घोषित किया गया है।राज्य के19जिलों में से9504.32 मिलियन क्यूनिक पानी में से7081.63मिलियन क्यूनिक पानी की निकासी कर ली गई हैं अब तक74प्रतिशत भूमिगत जल निकाल लिया है।हरियाणा में पानी की स्थिति पंजाब से ज्यादा खराब है।इसका कारण पंजाब की तुलना में हरियाणा में नहरी पानी की उपलब्धता काफी कम है। भूजल स्तर गिरने के कारण - _________________________ भूमिगत जल स्तर के गिरने का मुख्य कारण राज्य में औसत बर्षा लगातार कम हो रही हैं एक अनुमान के अनुसार धान की फसल के उत्पादन में अधिक पानी लगता है जो गलत है।तीसरा मुख्य कारण गुडगांव, फरीदाबाद, सोनीपत जिलों में औधोगीकरण और जनसंख्या वृद्धि के कारण पानी का संकट खडा हो रहा है। अभी तक राज्य सरकार ने भूमिगत जल स्तर सुधार की कोई ठोस योजना नहीं बनाई है। जल सरक्षण के कुछ सुझाव भूजल दोहन पर रोक लगाई जाये नदियों, तालाबों को प्रदुषण मुक्त रखा जाए नदियों और नालो पर चैक डैम बनाये जाये खेतों में वर्षा के पानी को संग्रहित किया जाये।जल जमीन और जंगल तीनों एक दुसरे से जुड़े हुए हैं इनके रख रखाव पर ज्यादा ध्यान दिया जाये। जल संचय की विधियों व नलकूपों द्वारा रिर्चाजिन वर्षा के पानीको गहराई तक पहुंचा कर जल स्तर को रिजार्ज किया जा सकता है।गहरे गड्ढे खोदकर पानी फिल्टर करके पानी को नीचे पहुचाया जा सकता है। पानी की बर्बादी रोकने के तरीक़े ( 1 ) सेविंग करते समय ब्रुश करते वक्त सिंक में बर्तन धोते समय नल तभी खोले जब सचमुच पानी की आवश्यकता हो। (2) गाडी कार धोते समय पाईप की बजाय बाल्टी और मग का प्रयोग करें इससे काफी पानी बचेगा। (3) नहाते समय शावर का प्रयोग नहीं करके वाल्टी मे पानी भरकर मग से नहाये। (4) वाशिंग मशीन में रोज-रोज कपडे धोने के बजाय एक दिन इक्ठ्ठे कपडे धोने चाहिए। (5) शोचालय मे कम क्षमता का फैलश टैक लगाये। (6) जहां कहीं पर पाईप नल लीक करते हो उनकी मुरम्मत करें। (7) बर्तन धोते समय, नहाते समय लगातार पानी का नल नहीं चलने दे । (8) सार्वजनिक स्थलों स्कूलों, मौहल्लों, अस्पतालों आदि में जहां भी नल की टोटियां खराब हो उनको ठीक करें। (9) बाग बगीचों में दिन के बजाय रात को पानी देना चाहिए इससे पानी का वास्पीकरण नहीं होता हैं कम पानी से सिचाई होती हैं। (10) कृषि में सिंचाई के लिए कम लागत की आधुनिक तकनीकों अपनाना चाहिए। (11)रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम प्रणाली को अपनाना चाहिए। अत: आपसे प्रार्थना है कि हम सब मिल कर पानी को अगली पीढियो के लिए बचाने के प्रयास मे योगदान दे तथा संकल्प करें कि पानी की बर्बादी नहीं करगें।
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