प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 40 से 60 प्रतिशत तक दिया जा रहा है अनुदान: धमेन्द्र सिंह। नूंह, उपायुक्त धीरेन्द्र खडग़टा ने बताया कि नीली क्रांति को बढ़ावा देने व रोजगार सृजन के उद्देश
य से सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत सरकार द्वारा सामान्य श्रेणी के लिए इकाई लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत अनुदान व अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/महिला श्रेणी के लिए इकाई लागत का 60 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है। मत्स्य पालन के इच्छुक किसान जमीन पर तालाब बनाने, खारे पानी में मछली पालन, झींगा पालन करने तथा मछली बेचने हेतू वाहन (मोटर साइलिक, साइकिल व थ्री-व्हीलर) खरीदने के लिए अनुदान हेतू मत्स्य विभाग में आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि मत्स्य पालन को बढ़ावा देने व मत्स्य पालकों की आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से विभाग द्वारा अनेक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मत्स्य पालकों को दिया जा रहा है। उपायुक्त ने कहा कि मत्स्य पालन के इच्छुक व्यक्ति विभाग से प्रशिक्षण लेकर तकनीकी पहलुओं की जानकारी प्राप्त करके अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि खारे पानी में झींगा पालन व मीठे पानी में कॉमन-कार्प व भारतीय मेजर कार्प किस्मों की मछली पालन करने का अच्छा अवसर है। इसके साथ-साथ सेम ग्रस्त क्षेत्र अर्थात जलमग्न क्षेत्र में जहां अन्य कोई खेती नहीं हो रही है वहां भी मिट्टïी व पानी की गुणवत्ता के अनुसार भिन्न-भिन्न किस्मों की मछली पालन करके अपनी भूमि का सदुपयोग किया जा सकता हैं तथा आमदनी के स्त्रोत को बढाया जा सकता हैं। मत्स्य पालन कार्य शुरु करने से पहले करवाएं खेत के पानी की जांच: जिला मत्स्य अधिकारी धमेन्द्र सिंह ने बताया कि मत्स्य किसान व मछली पालक राजकीय मत्स्य बीज फार्म लिसाना एवं दमदमा से मछली बीज ले सकते हैं। किसान अपने खेतों में बने जल संचय टैंक आदि में मछली बीज संचयन करते हुए मत्स्य पालन का व्यवसाय करके अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। उन्होंने बताया कि मत्स्य पालक को अपने खेत के पानी की जांच सैंट्रल इंस्टिच्यूट ऑफ फिशरी एजुकेशन (सीआईएफई) लाहली रोहतक / जल कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (एआरटीआई) हिसार में करवाना अनिवार्य है। जांच के उपरांत किसान अपने पानी की उपयोगिता के अनुसार खेत में झींगा पालन या कॉमन-कार्प व अन्य मछली पालन कर सकता है। झींगा पालन व्यवसाय बहुत ही कम समय में किसान को आमदनी दे सकती है, इसमें लगभग साढे तीन माह से चार माह का समय लगता है। उन्होंने मत्स्य पालन के इच्छुक किसानों से आह्वïान किया कि वे कार्य प्रारंभ करने से पहले एआरटीआई हिसार या सीआईएफई लाहली से प्रशिक्षण अवश्य प्राप्त करें ताकि उन्हें मत्स्य पालन की बारीकियों की तकनीकी जानकारी मिल सके। उन्होंने बताया कि मत्स्य बीज व मत्स्य पालन के संबंध में अधिक जानकारी के लिए इच्छुक व्यक्ति जिला मत्स्य अधिकारी कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आवेदक आवेदन फार्म के साथ तालाब की खुदाई का बिल व अन्य खर्चो के बिल साथ लेकर आए।
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