सरकारी दावे केवल कागजों तक ही हुए सीमित। खोजी/सुभाष कोहली। कालका। भारत सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जरूरतमदों के लिए जो भी योजना शुरू की जाती है, पात्र व जरूरतमद लोगों को उसका लाभ कम ही मिलत
ा है, क्योंकि उन तक योजनाओं को पहुंचने ही नहीं दिया जाता। जैसे आयुष्मान कार्ड साधन सम्पन्न लोगों के तो बन चुके हैं, किन्तु गरीब व जरूरतमन्द लोगों द्वारा बार-बार चक्कर काटने पर भी नहीं बनाए जा रहे। उन्हें हर बार यही जवाब मिलता है कि आपका नाम लिस्ट में नहीं है। जब सर्वे होगा, लिस्ट में नाम आएगा तो बन जाएंगे। अब ये किसी को पता नहीं कि कब सर्वे होगा, कब लिस्ट में नाम आएगा, कब आयुष्मान कार्ड बनेंगे। इसमें एक सोचने वाली बात ये भी है कि जिन साधन सम्पन्न लोगों के आयुष्मान कार्ड बने हैं, उनके नाम लिस्ट में कैसे आ गए? जब सब कुछ ऑनलाईन है, वो लोग जो आयकर दाता हैं व आयकर भर भी रहे हैं, उनके आयुष्मान योजना के कार्ड बनाए गए हैं। दूसरी तरफ जिनके पास अपना मकान तक नहीं है, वर्षों से किराये पर रह रहे हैं, जिन्हें परिवार की दाल-रोटी कमाना भी मुश्किल हो रहा है, सर्वे में उनके नाम लिस्ट में क्यों नहीं है? क्या ये भृष्टाचार की श्रेणी में नहीं है? क्या ऐसे दोषियों की सजा तय होगी? अभी पिछले दिनों समाचार पत्र में एक खबर प्रकाशित हुई थी कि 01 मार्च से 15 मार्च 2021 तक आयुष्मान कार्ड बनाए जाएंगे, सभी अपने नजदीकी सैंटरों में जाकर बनवा सकते हैं। शिवकली, शुष्मा, सीता, नेहा, दीप कौर, पल्लवी आदि ने बताया कि जब उन्होंने सिविल अस्पताल कालका जाकर पता किया तो उन्हें कहा गया कि जब सर्वे होंगे तब नाम लिस्ट में आएगा तो ही बनेंगे। लोगों के मन में रोष है कि हरियाणा सरकार की घोषणाएं केवल कागजों तक ही सीमित हैं, धरातल पर तो कुछ और ही नजर आता है। अब इसमें सरकार की गलती है या सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों की या वार्ड पार्षदों की, जिन्हें अपने वार्ड के हर परिवार की जानकारी होती है या होनी चाहिए। ये देखना सरकार का काम है, क्योंकि ऐसे काम सरकार अपने जमीनी स्तर के स्थानीय कार्यकर्त्ताओं से करवा सकती है, ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों/पात्र लोगों तक पहुंच सके। यदि सरकारें वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर जन-हित में गम्भीरता से काम करना चाहे तो, अन्यथा ऐसे ही घोटाले होते रहेंगे, अमीर और गरीब के बीच में बनाई गई खाई और गहरी होती जाएगी।
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