भारत में 2025 तक निर्धारित किया गया टीबी उन्मूलन का लक्ष्य: डॉ.ममगाईं देश में टीबी से तपेदिक रोग से रोजाना होती हैं करीबन 900 मौतें: डॉ. शैली कुरुक्षेत्र,23मार्च (सुदेश गोयल) : "प्रधानमंत्री नरेंद्र
ोदी के सपनों को साकार करने के लिए 2025 तक भारत को टीबी अथवा तपेदिक रोग से मुक्त बनाया जाएगा। विश्व में करीब 7 करोड़ लोग क्षय रोग अथवा तपेदिक से पीड़ित हैं,इनमें से हर वर्ष 25 से 30 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है और भारत में प्रतिदिन 800 से 900 लोगों की मौत टीबी के कारण हो जाती है। दुनिया भर में मौत के 10 शीर्ष कारणों में टीबी को मुख्य कारण बताया गया है।"ये विचार लोकनायक जयप्रकाश जिला नागरिक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और हृदय ,छाती एवं क्षय रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र ममगाईं शैली ने आज विश्व टीबी दिवस की पूर्व संध्या पर व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा देश से 2025 तक टीबी के उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए किसी भी सरकारी संस्था में टीबी अथवा तपेदिक का रोगी लाने पर रोगी के प्रेरक को एकमुश्त ₹500 और रोगी को टीबी का इलाज जारी रहने तक हर महीने ₹500 सीधा उसके खाते में जमा कराए जाते हैं। रोगी को यह पैसे टीबी के इलाज के दौरान पौष्टिक भोजन के लिए ले जाते हैं और प्रेरक को यह धनराशि प्रेरणा के तौर पर सरकारी नीतियों को लागू करने में मदद करने के बदले दी जाती है। इस अवसर पर डॉ. ममगाईं ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि भारत में 2018 में टीबी मरीजों की संख्या पिछले साल की तुलना में करीब 50,000 की कमी आई और साल 2017 में भारत में टीबी के 27.4 लाख मरीज थे, जो साल 2018 में घटकर 26.9 लाख रह गए। टीबीके बारे में जानकारी देते हुए डॉ.शैली ने बताया कि यह एक संक्रामक बीमारी है जो संक्रमित लोगों के थूकने से फैलती है। आमतौर पर यह फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन यह शरीर के किसी भी हिस्से में फैल सकती है। इस बीमारी का इलाज तो है ,बशर्ते लोग नियमित रूप से इसकी दवा को लें।यह बैक्टीरिया फेफड़ों से उत्पन्न होकर जोड़ों, मेरुदंड, त्वचा, आंतों, गर्भाशय दिमाग सहित शरीर के किसी भी अंग पर हमला कर सकते हैं।टीबी के कीटाणु दिमाग में जाने पर छोटे-छोटे छल्ले बना लेते हैं जिसे 'ट्यूबरक्लोमा' कहा जाता है। यह ऐसी बीमारी है जिसकी पहचान आसानी से कई बार नहीं हो पाती। लोकनायक जयप्रकाश जिला नागरिक अस्पताल में टीबी की जांच के लिए बलगम, रक्त की जांच, एक्स-रे और छाती के सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध है ,जो राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा- निर्देशों के मुताबिक कई वर्गों के लिए नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। मधुमेह से पीड़ित रोगियों को टीबी से ग्रसित होने पर शुगर का इलाज इंसुलिन से करवाने की सलाह देते हुए डॉ.शैली ने बताया कि मधुमेह का सही उपचार न होने से टीबी का इलाज करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा एड्स से पीड़ित रोगियों में टीबी होने पर भी उसका उपचार करने में सतर्कता बरतनी पड़ती है। टीबी के इलाज की सुविधा सभी सरकारी संस्थाओं में नि:शुल्क है। टीवी के कारण उत्पादकता में कमी होने के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके उन्मूलन को प्राथमिकता के तौर पर लिया है,जिसके तहत टीबी के नए मामलों और मृत्यु में 95 फ़ीसदी फ़ीसदी की कमी करने के लक्ष्य को निर्धारित किया गया है। इस अवसर पर डॉ. शैली ने जनता से अपील की कि वे टीबी के उन्मूलन में सहयोग देकर राष्ट्र सेवा में अपना योगदान दें।
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