- कूड़ा फिर भी यहां पर किया जाता रहा डंप, लेकिन निस्तारण नहीं होने से लगे थे ऊंचे ढेर जागरण संवाददाता, अंबाला : बेशक पटवी प्लांट को बारह साल बाद संजीवनी मिल गई हो लेकिन अफसरों की नाकामी रही कि दस क
ोड़ रुपये कूड़ा हो चुके हैं। साल 2008 में दस करोड़ की लागत से इसका शुभारंभ किया गया था। लेकिन पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी नहीं ली गई थी, जिसके चलते इसे छह माह बाद ही बंद कर दिया गया। हैरानी कि इस मामले में किसी भी अफसर की जिम्मेदारी तक तय नहीं की गई। पहले यह राजनीतिक खींचतान में उलझा रहा, जबकि बाद में एनओसी न मिलने के कारण इसे बंद करना पड़ा था। साल-दर-साल गुजरते रहे और अफसर इसे जल्द शुरू होने की बात कहकर टालते रहे। अब बारह साल के बाद इसे शुरू किया जा रहा है, लेकिन इस में अब 35 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इतना कूड़ा आता है प्लांट में गांव पटवी में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने की कवायद साल 2005 में शुरू हुई थी। इसके तहत पटवी में 17 एकड़ जमीन खरीदी गई। जिला में प्रति दिन लगभग 250-300 टन कचरा पटवी प्लांट में भेजा जाता है। इसमें अंबाला शहर का लगभग 140 टन प्रतिदिन (टीपीडी), अंबाला सदर का लगभग 110 टीपीडी तथा नारायणगढ़ क्षेत्र का लगभग 10 से 12 टीपीडी कूड़ा आता है। कूड़ा निस्तारण पर 794 रुपये प्रति टन खर्चा पटवी स्थित इस प्लांट की लगभग 13 एकड़ जमीन पर कूड़ा फैला हुआ है जिसकी उंचाई लगभग 4 से 5 मीटर है। पटवी प्लांट पर 2008 से कूड़ा इक्टठा किया जा रहा है। नगर निगम ने पटवी प्लांट के कूड़ा-कर्कट के जैविक उपचार एवं सुधार कार्य के लिए 35.73 करोड़ रूपये की लागत से परियोजना तैयार की है। इसकी प्रशासनिक स्वीकृति निदेशक, शहरी स्थानीय निकाय, हरियाणा से 29 सितंबर 2020 को प्राप्त हो गई। परियोजना का उद्देश्य पटवी प्लांट में पड़े कचरे का निपटारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट 2016 के अनुसार 7 अप्रैल 2021 तक करना है। पटवी प्लांट के कुल कचरे का 90 प्रतिशत पुन: उपयोग कर मिट्टी उर्वरक, आरडीएफ, निर्माण कार्य हेतु सामग्री आदि उत्पाद किया जाएगा।
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