तावडू, 19 मार्च (दिनेश कुमार): मौसम में हो रहे उठापटक से शहर व क्षेत्र के लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। शहर के अस्पताओं में मौसमी बीमारियों जैसे पेट दर्द, वायरल बुखार, सिर दर्द आदि के मरी
ों की संख्या बढ़ गई है। इस मौसम में मौसमी बीमारियों का फैलना कोई नई बात नहीं है। हर 2 महीने में परिवर्तन के दौरान लोग इन बीमारियों की गिरफ्त में आ ही जाते है। शिवम् अस्पताल के डॉक्टर आर ए चौधरी का कहना है कि हर 2 महीने के मध्य में मौसम में परिवर्तन के साथ ही मौसमी बीमारियों फैलने लगती है। शायद यही वजह है कि आयुर्वेद में इन बीमारियों के बारे में विस्तृत वर्णन है। इन बीमारियों की चपेट में आने से बचने के लिए कोई खास उपाय नहीं है। लेकिन खान-पान में बदलाव से काफी हद तक इन बीमारियों को पास आने से रोका जा सकता है। उनका कहना है कि प्रतिदिन के भोजन में जितना अधिक तरल पदार्थ को शामिल करेंगे, सेहत के लिए उतना ही अच्छा है। नीबू पानी, छांछ, लस्सी, जलजीरा, ठंडाई, मौसमी फलों का रस जैसे पेय पदार्थों के नियमित सेवन से शरीर के आंतरिक शक्ति में वृद्धि होती है। ऐसे में मौसम बदलाव से लडने के लिए शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी बढ़ जाती है और बीमारियों से बचा जा सकता है।
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