नई दिल्ली । तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग लेकर दिल्ली-एनसीआर के चारों बॉर्डर (सिंघु, टीकरी, गाजीपुर और शाहजहांपुर) पर किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी है। पिछले तीन महीने से भ
अधिक समय से चल रहा किसानों का धरना अब विवादों में पड़ता नजर आ रहा है। दरअसल, सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ 100 से ज्यादा दिनों से जारी विरोधी प्रदर्शन में हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिल रहा है। अब जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, यहां भेदभाव भी देखने को मिलने लगा है। यह भेदभाव है अमीर और गरीब तबके के प्रदर्शनकारियों के बीच दिखाई दे रहा है। यहां कोई प्रदर्शनकारी एसी की ठंडी हवा में बैठकर शाही तरीके से कृषि कानूनों का विरोध कर रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे प्रदर्शनकारी भी यहां नजर आ रहे हैं जिन्हें टेंट पर पराली की छत बनाकर गर्मी को मात देनी पड़ रही है। कोई यहां लग्जरी गाड़ियों में घूमने आ रहा है तो कोई ट्राली के नीचे दोपहर गुजार रहा है। गरीब तबके के प्रदर्शनकारियों के टेंट में पंखे लगे हुए हैं, जबकि अमीरों के टेंटों में एसी। गरीबों के टेंटों में पानी की बोतलें रखी हैं, जबकि अमीर प्रदर्शनकारियों के टेंटों में ठंडे पेय की भी सुविधा है। बढ़ती गर्मी से बचने के लिए प्रदर्शनकारी अब झोपड़ीनुमा टेंट बनाने लगे हैं। इन टेंटों में प्लास्टिक के टेंटों के मुकाबले कम गर्मी लगती है। इसलिए वह इसी का इस्तेमाल करते नजर आने लगे हैं। 103 दिन से से अधिक समय से जारी है प्रदर्शन दरअसल धरना स्थल पर लोगों की संख्या बढ़ाने के लिए यहां पर पंखे व कूलर लगा दिए गए हैं। 103 दिन से प्रदर्शनकारी रोज धरने पर आकर बैठते हैं और भोजन कर वापस लौट जाते हैं। यहां पर आधे से ज्यादा वक्ता तो ऐसे होते हैं जिनको धरने पर बैठे लोग जानते भी नहीं हैं। बस नारेबाजी के दौरान ही वह एक साथ दिखाई देते हैं।
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