यंगून, । सैन्य तख्तापलट के खिलाफ म्यांमार में प्रदर्शनों का दौर जारी है। एक बार फिर पूरे देश में लोकतंत्र समर्थक सड़कों पर उतरे हैं। सोमवार को सैन्य सरकार के खिलाफ विद्रोह के हिस्से के रूप मे
बंद का आह्वान किया गया है। देश के सबसे बड़े शहर यंगून में दुकानें, कारखाने और बैंक पूरी तरह से बंद हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि सैनिकों ने कई स्थानों पर एक बार फिर प्रदर्शनकारियों पर सीधी गोली चलाई। इस दौरान दो लोगों के मारे जाने की खबर है। निर्माण, कृषि और विनिर्माण से जुड़े नौ यूनियनों ने 'ऑल म्यांमार पीपल' का आह्वान किया है। इसके तहत लोगों को 1 फरवरी को हुए तख्तापलट के विरोध और आंग सान सू की सरकार को बहाल करने के लिए काम बंद करने की अपील की गई है। बता दें कि अब तक 67 से अधिक लोगों की जहां मौत हो चुकी है वहीं 1700 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। यंगून में प्रदर्शनकारियों को इकट्ठा होने से रोकने के लिए पुलिस कारों की जांच कर रही है। इसके बावजूद फेसबुक पर पोस्ट किए गए वीडियो के बाद शहर के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले और पश्चिम में मोनिवा में लोग इकट्ठा हुए। वहीं, रविवार को मांडले में भी विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आसूं गैस और स्टन ग्रेनेड का प्रयोग किया। इस बीच आंग सान सू की नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी के एक स्थानीय नेता की पुलिस हिरासत में मौत की खबर सामने आई। इसे यंगून से शनिवार रात को गिरफ्तार किया गया था। म्यांमार की सैन्य सरकार की पैरोकारी करने वाले इजरायली मूल के कनाडाई नागरिक एरि बेन मेनाश के मुताबिक चीन से दूरी बनाने के साथ ही सैन्य जनरल राजनीति छोड़कर अमेरिका के साथ अपने रिश्ते को बेहतर करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश की पूर्व सर्वोच्च नेता आंग सान सू ने सैन्य जनरलों की पसंद के लिए चीन से नजदीकी बढ़ाई थी। बेन मेनाश ने यह भी कहा कि उन्हें रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस लाने की योजना को लेकर अरब देशों के साथ संपर्क साधने का काम भी सौंपा गया है। बता दें कि वर्ष 2017 में सैन्य कार्रवाई के बाद लाखों रोहिंग्या शरणार्थियों ने म्यांमार से भागकर बांग्लादेश में शरण ले ली थी।
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