एक अध्यापक द्वारा घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल कर बनाए गए थे कमरे। जर्जर कमरों के कारण कभी भी हो सकता है हादसा। पुन्हाना, कृष्ण आर्य उपमंडल के गांव नहेदा में एक अध्यापक द्वारा लगभग 12 सा
पूर्व बनाए गए तीन कमरे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके हैं। लगभग 10-12 वर्षों में ही कमरों की हालत यह है कि कमरों के लेंटर में जगह-जगह से दरार पड़ चुकी हैं, दीवारें जर्जर हो चुकी हैं। फर्श टूट चुके हैं। आलम यह है कि कमरे कभी भी गिर सकते हैं और बच्चों के साथ कभी भी कोई भी हादसा हो सकता है। गांव नहेदा स्कूल के मुख्याध्यापक वहीद खान ने बताया कि लगभग 12 वर्ष पूर्व स्कूल में एक अध्यापक द्वारा लगभग 10 लाख रुपए की लागत से तीन कमरे बनाए गए थे। जो कि अब पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल के कमरों के लेंटर में दरारे पड़ चुकी हैं। दीवारें जर्जर हो चुकी हैं, छतों पर टाइलें नहीं लगाई गई हैं, फर्श टूट चुके हैं। आलम यह है कि कमरे कभी भी गिर सकते हैं। स्कूली अध्यापकों के अनुसार लगभग 2 वर्षों से स्कूली बच्चे भी कमरों के गिरने के डर से में नहीं बैठते। क्योंकि जर्जर कमरों के गिरने के कारण कभी भी दुर्घटना हो सकती है। मुख्य अध्यापक वहीद खान ने बताया कि वे उच्चाधिकारियों को कमरों के जर्जर होने की शिकायत कर चुके हैं परंतु विभाग द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। गौरतलब है कि पुनहाना उपमंडल के विभिन्न स्कूलों में सर्व शिक्षा अभियान के तहत सैकड़ों कमरे बनाए गए। जो जोकि स्कूली अध्यापकों द्वारा विभागिय अधिकारियों से मिलीभगत कर घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर बनाए गए थे। शिक्षा के मंदिरों में खुलेआम सरकारी पैसे को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया गया। स्कूलों में बने इन जर्जर कमरों की कुछ अध्यापकों व ग्रामीणों द्वारा शिकायतें भी की गई। परंतु शिक्षा विभाग के अधिकारी कुंभकर्णी नींद में सोए रहे। आलम यह है कि बीते कुछ माह पहले सुनहेड़ा गांव में दो बार स्कूल के कमरे गिरे। जिनकी लगभग 3 से 4 बार जांच भी हो चुकी। परंतु आज तक दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। एक और जहां प्रदेश भाजपा सरकार के मुखिया को इमानदारी की मिसाल माना जाता है। वहीं ईमानदार मुख्यमंत्री के राज में भ्रष्टाचारी अध्यापक खुले घूम रहे हैं।
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