हथीन/माथुर : गांव छछेडा के मंदिर के प्रागंण में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद का बलिदान दिवस व संत रविदास की जयंती पर हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आचार्य राजेश ने कहा अमर शहीद चंद्रशेखर आजा
द वीर, लक्ष्य भेद में निपुण, अप्रीतम संगठन क्षमता के धनी, वेश बदलने में प्रवीण थे। वे मात्र 14 वर्ष की आयु में ही जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में प्रदर्शन करते हुए गिरफ्तार हुए और मजिस्ट्रेट के पूछने पर अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता, पता जेल बताकर 15 कोडों की सजा पाई। उन्होंने कहा कि अनेक क्रांतिकारियों जैसे पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र नाथ लाहिड़ी जैसे क्रांतिकारियों के साथ अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद ने कंधे से कंधा मिलाकर के देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि चन्द्रशेखर आजाद ने गणेश शंकर विद्यार्थी, सरदार भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे अनेक क्रांतिकारियों का मार्गदर्शन किया। आजाद के बारे कहा जाता हैं दुश्मनों की गोलियों का सामना करेंगे, आजाद ही रहे, आजाद ही रहेंगे। ऐसे महापुरुषों का राष्ट्र सदैव ऋणी रहेगा। आचार्य राजेश ने कहा आज की युवा पीढ़ी को ऐसे महापुरुषों के बलिदान को हमेशा याद रखना चाहिए तथा अपने जीवन को महापुरुषों के प्रति तथा देशभक्ति और जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभानी चाहिए। आचार्य राजेश ने कहा कि संत रविदास एक ऐसे संत थे, जिन्होंने धर्म, जाति, संप्रदाय, मजहब और डेरा आदि को बहुत अच्छी सीख प्रदान की है। उन्होंने कहा संत रविदास पुरुष नहीं बल्कि ऐसे महापुरुष हैं, जिन्होंने जाती से उठकर काम किया है। शंकराचार्य और संत रविदास के बारे में ऐसा बताया जाता है कि उन्हें नदी के किनारे पर संत रविदास और शंकराचार्य की भेंट हुई। शंकराचार्य से सीधा प्रश्न करते हुए कहा आपका शरीर पंचमहाभूत से बना है और मेरा शरीर भी फिर आप मुझसे घृणा क्यों करते हैं और यदि मैं कर्म नहीं करूंगा तो समाज में अराजकता फैल जाएगी, गंदगी बढ़ जाएगी। उस दिन शंकराचार्य बिना स्नान करें ही नदी से लौट गए और उन्होंने शिष्यों से कहा मैंने आज स्नान कर लिया है इसलिए कर्म और मानव को एक समान समझना चाहिए।
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