दिनेश कुमार तावडू : ईश्वर-नाम के जाप का महत्व तो सभी को विदित ही है, जो हमें पापों से बचाकर कुवृत्तियों से हमारी रक्षा कर, जन्म तथा मृत्यु के बंधन से छुडा देता है। यह आत्म शुद्धि के लिए एक उत्तम स
ाधन है, जिसमें न किसी सामग्री की आवश्यकता है और न किसी नियम के बंधन की। इससे सुगम और प्रभावकारी साधन अन्य कोई नहीं। शहर के वार्ड नंबर 14 में स्थित श्रीसांई दरबार में उक्त विचार श्रीसाईं सच्चरित्र के माध्यम से नेहा रानी ने रखे। सच्चरित्र के माध्यम से बताया गया कि तुम्हे अपने शुभ-अशुभ कर्मांे का फ ल अवश्य ही भोगना चाहिए। यदि भोग अपूर्ण रह गया तो पुनर्जन्म धारण करना पडेगा, इस लिए मृत्यु से यह श्रेयस्कर है कि कुछ काल तक उन्हें सहन कर पूर्व जन्मों के कर्मों का भोग समाप्त कर सदैव के लिए मुक्त हो जाओ। बाबा ने कहा कि मुझ पर पूर्ण विश्वास रखो, यद्यपि मैं देहत्याग भी कर दूॅंगा, परन्तु फि र भी मेरी अस्थियां आशा और विश्वास का संचार करती रहेंगी। केवल मैं ही नहीं, मेरी समाधि भी वार्तालाप करेगी, चलेगी, फि रेगी और उन्हें आशा का संदेश पहुॅंचाती रहेगी, जो अनन्य भाव से मेरे शरणागत होंगे। निराश न होना कि मैं तुमसे विदा हो जाऊंगा। तुम सदैव मेरी अस्थियों को भक्तों के कल्याणार्थ ही चिंतित पाओगे। यदि मेरा निरंतर स्मरण और मुझ पर दृढ विश्वास रखोगे तो तुम्हे अधिक लाभ होगा। इस दौरान लवली, गीता, सुमन रानी, बिमला देवी, भारती रानी, कलावती, मालती देवी, रतना, कृष्णा देवी, तारा रानी, सोनिया रानी, ऊषा तनेजा आदि मौजूद थीं।
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