हथीन/माथुर : सरकारी शिक्षा बचाओ अभियान के प्रदेश संयोजक डा. रमेश चंद शर्मा पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा है कि सरकारी स्कूलों की दशा सुधरने पर ही शिक्षा के व्यवसायीकरण पर पूरी तरह से रोक लग
गी। सरकारी स्कूलों की दशा ठीक न होने के कारण ही अभिभावक अपने बच्चों को मजबूरन प्राइवेट स्कूलों में भेजते हैं। जिसका फायदा प्राइवेट स्कूल संचालक उठाते हैं। अभिभावकों का रुझान सरकारी स्कूलों की ओर करने के लिए जरूरी है कि सरकारी स्कूलों की दशा में सुधार कराया जाए, उनमें सभी जरूरी संसाधन मुहैया कराए जाएं, अध्यापकों की कमी को दूर किया जाए और कंडम व जर्जर हो चुकी बिल्डिंग व कमरों की जगह नई हाईटेक बिल्डिंग बनाई जाए। सरकारी शिक्षा बचाओ अभियान के प्रदेश सचिव व पलवल के संयोजक मास्टर महेंद्र सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में अधिकांश सरकारी स्कूल 50 साल से पहले के बने हुए हैं। जिनके कारण उनकी बिल्डिंग, कमरे व चारदीवारी कंडम व जर्जर हो चुकी है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार भी तीन चार साल पहले उन्हें कंडम व जर्जर घोषित किया जा चुका है। लेकिन उनकी जगह नई बिल्डिंग व कमरे बनवाने के लिए कोई भी उचित कार्यवाही नहीं की गई है और इन्हीं में बच्चों को पढ़ाई कराकर उनके जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है। डॉ रमेश चंद शर्मा ने कहा है कि पूरे प्रदेश के साथ-साथ पलवल जिले में भी सरकारी स्कूलों की कंडम व जर्जर हो चुकी बिल्डिंग व कमरों का पता लगाकर उनकी जगह नई बिल्डिंग व कमरे बनवाने का महत्वपूर्ण कार्य ऑल इंडिया पैरेंटस एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल व हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व उनकी टीम के द्वारा पहले सरकार के माध्यम से कार्यवाही न होने पर पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय के माध्यम से किया जा रहा है। जिसके चलते ही पलवल के 9 व फरीदाबाद के 5 सरकारी स्कूलों की तीन-चार मंजिल हाईटेक बिल्डिंग व कमरों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। सरकारी शिक्षा बचाओ अभियान पलवल की टीम सरकारी स्कूलों में जाकर वहां की हालात का जायजा ले रही है। पता चलने पर इन स्कूलों में भी नई बिल्डिंग व कमरे बनवाने का प्रयास किया जाएगा। डॉ रमेश चंद शर्मा व महेंद्र सिंह चौहान ने सांसद, विधायक व अन्य जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया गया है कि वे सरकारी शिक्षा बचाओ अभियान में सहयोग प्रदान करें और अपने-अपने क्षेत्र के सरकारी स्कूल में जाकर के वहां संसाधनों की कमी, कंडम व जर्जर हो चुकी बिल्डिंग में कमरों का पता लगाकर उनमें सुधार कराने का प्रयास करें। सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल व हैडमास्टर से भी अपील की गई है कि वे अपने स्कूलों की जर्जर हो चुकी बिल्डिंग, कमरे, चारदीवारी व संसाधनों की कमी के बारे में शीघ्र ही जिला शिक्षा अधिकारी से पत्राचार करें और उसकी एक प्रति सरकारी शिक्षा बचाओ अभियान टीम को भी भेजें। जिससे पहले सरकार से कार्रवाई न होने पर हाईकोर्ट के माध्यम से उचित कार्यवाई कराई जा सके।
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