तिरुवनंतपुरम, एएनआइ। देश में कोरोना टीकाकरण काफी तेज रफ्तार से चल रहा है। देश में अब तक 1 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। इस बीच, भारत की कोरोना वैक्सीन को लेकर एक बड़ी खबर आ रही ह
ै। स्वदेशी कोरोना वैक्सीन(कोवैक्सीन) के क्लीनिकल ट्रायल में इस बात के संकेत मिले हैं कि ये वैक्सीन, कोरोना के नए वैरियंट के खिलाफ प्रभावी रहेगी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने बताया है कि आखिरी क्लीनिकल ट्रायल के नतीजो ने ये संकेत दिया है कि यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील से रिपोर्ट किए गए नए कोरोना वैरियंट के खिलाफ स्वदेशी COVID-19 टीके प्रभावी होंगे। केरल सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार 'केरल हेल्थ: मेकिंग द एसडीजी ए रियलिटी' को संबोधित करते हुए आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि कोरोना वायरस के यूके वैरियंट के खिलाफ कोवैक्सीन की प्रभावकारिचा को लेकर एक शोध प्रकाशित करने को अनुमति दे दी गई है। उन्होंने बताया कि दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के कोरोना वैरिएंट के मामले में इन दोनों देशों से आए यात्रियों से एकत्र किए गए नमूनों से वायरस के नए वैरियंट को अलग करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि कोवाक्सिन का तीसरा क्लीनिकल ट्रायल पूरा हो गया है। ट्रायल में शामिल सभी 25,800 स्वयंसेवकों को वैक्सीन की दोनों खुराक दी गई है। वैक्सीन को लेकर एक सप्ताह में अंतरिम विश्लेषण रिपोर्ट बाहर आने की संभावना है। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि महामारी के लिए वैक्सीन विकसित करने के प्रयासों के तहत कोरोना वायरस को अलग करने वाला भारत दुनिया का पांचवा देश है। उन्होंने कहा कि भारत शुरू से ही ब्रिटेन और इटली सहित कई यूरोपीय देशों के विपरीत कोरोना वायरस के प्रति ज्यादा सख्त रहा। भारत का ये फैसला सही रहा क्योंकि पश्चिमी देशों में जो हुआ उससे वहां महामारी फैल गई। गौरतलब है कि कोवैक्सीन पूर्ण रूप से स्वदेश तौर पर विकसित वैक्सीन है, जिसे भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर बनाया है। भारत में दो कोरोना वैक्सीन(कोवैक्सीन और कोविशील्ड) को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। जिसके बाद देश भर में टीकाकरण जारी है। कोवैक्सीन के आखिरी ट्रायल के नतीजे अभी तक सामने नहीं आए हैं। जिस कारण इस वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में संदेह है। यदि कोवैक्सीन के ट्रायल के परिणाम सकारात्मक आते हैं तो देश में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सकती है।
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