बच्चों से मजदूरी कराना कानूनी जुर्म नूंह: जिले में बाल मजदूरी रोकने के लिए बाल कल्याण समिति के निर्देश पर चेतनालय चाईल्ड हेल्पलाईन सर्विस ने नूंह के कस्बा पिनगवां में रेस्क्यू अभियान चलाया
इस दौरान चेतनालय की टीम द्वारा कस्बे से छह बच्चों को मजदूरी करते हुए पकडा। जिन्हें रेस्क्यू करने के बाद बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया। बच्चों के परिजनों से बातचीत करने के बाद चेतावनी देकर उन्हें बच्चे सौंप दिए गए। वहीं बाल मजदूरी कराने वाले प्रतिष्ठानों को भी सख्त चेतावनी दी गई कि यदि उन्होंने बच्चों से मजदूरी कराई तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष राजेश छोकर व सदस्य ममता सिंह ने बताया कि 14 साल से कम आयु के बच्चों से मजदूरी कराना कानूनी जुर्म है। लोगों को बाल मजदूरी के विषय में जागरुक करने के लिए चाईल्ड हेल्पलाईन सर्विस की टीम के सदस्यों द्वारा जिले में जागरुकता शिविर आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा दुकानों व प्रतिष्ठानों पर भी लोगों को बार-बार बाल मजदूरी न कराने के लिए बताया जाता है। लेकिन इसके बावजूद भी कुछ लोग अपनी आदत से बाज नहीं आते हैं। बाल मजदूरी कराने में बच्चों के परिजन भी बराबर के दोषी हैं। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से कुछ लोग बच्चों को मैकेनिक शॉप, होटलों या ऐसे स्थानों पर भेज देते हैं, जहां बच्चों का बचपन किताब व पेंसिल की बजाए औजार तथा झूठी प्लेटें उठाने में बीतता है। ऐसे में खुद परिवार के लोग ही अपने बच्चों का भविष्य खराब करते हैं। उन्होंने सभी से अपील की कि वे बच्चों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करें। ताकि वे पढ लिख कर खुद अपना भविष्य संवार सकें।
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