यंगून, । पूरी दुनिया की नजर दक्षिण एशियाई मुल्क म्यांमार पर टिकी है। म्यांमार में 1 फरवरी को तख्तापलट के बाद नोबल पुरस्कार विजेता आंग सांग सू की को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस दस्ताव
जों के अुनसार उन्हें 15 फरवरी तक के लिए कस्टडी में भेज दिया गया था। इसलिए लोगों की निगाहें 15 फरवरी पर टिकी थी। हालांकि, सैन्य शासन से आंग सांग की रिहाई या राहत की बहुत उम्मीदें नहीं थी, लेकिन लोकतंत्र समर्थक मुल्कों की नजर सेना के ताजा बयान पर टिकी है। आइए जानते हैं म्यांमार में कैसे शुरू हुआ एक लोकतांत्रिक सरकार का पतन। कैसे सेना ने किया तख्तापलट। लंबे सैन्य शासन के बाद 2015 में हुए चुनाव म्यांमार में 1962 से 2001 तक सैन्य शासन की हुकूमत थी। 1990 के दशक में आंग सांग सू की ने म्यांमार के सैन्य शासकों को चुनौती दी। देश में लोकतंत्र की बहाली की मांग रखी। आंग सांग के लंबे संघर्ष के बाद म्यांमार में 2015 में लोकतंत्र की बयार बही। इस वर्ष देश में चुनाव कराए गए। आंग सांग के नेतृत्व में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की भारी जीत हुई। आंग सांग म्यांमार की स्टेट काउंसर बनीं। उन्होंने म्यांमार में सैन्य सत्ता को चुनौती दी। हालांकि, अपने शासन काल के दौरान वह अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे उत्पीड़न को लेकर चर्चा में रहीं। उनके कार्यकाल में लाखों रोहिंग्या म्यांमार से बांग्लादेश में पलायन कर गए। 1 फरवरी 2021 को सेना ने निर्वाचित हुई सरकार का तख्तापटल आंग सांग को हिरासत में ले लिया। उनके साथ सेना ने कई अन्य नेताओं को भी हिरासत में लिया। 1 फरवरी को सेना ने किया तख्तापलट 1 फरवरी को आंग सांग की पार्टी को अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करना था, लेकिन संसद सत्र शुरू होने के पहले आंग सांग समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। 1 फरवरी को म्यांमार सेना ने ऐलान किया कि देश की सत्ता को उन्होंने अपने हाथ में ले लिया है। आंग सांग सेमत कई नताओं को हिरासत में ले लिया गया है। इसके साथ देश के मुख्य सड़कों पर सैनिकों की तैनाती कर दी गई। संचार व्यवस्था को सीमित कर दिया गया। सेना ने आंग सांग पर आयात-निर्यात के नियमों के उल्लंघन करने और गैर कानूनी ढंग से दूरसंचार यंत्र को रखने का आरोप लगाए हैं। इसी तरह सेना द्वारा अपदस्थ राष्ट्रपति विन मिन पर भी कई आरोप लगाए गए हैं। मिन पर कोरोना महामारी के दौरान नियमों के उल्लंघन करने का आरोप है। उनको भी पुलिस कस्टडी में रखा गया है। सेना ने उठाए लोकतंत्र विरोधी कदम आंग सांग की गिरफ्तारी के साथ सेना के उस कानून का भी निलंबित कर दिया, जिसके तहत किसी व्यक्ति को 24 घंटों से अधिक वक्त तक हिरासत में रखने के लिए अदालत के आदेश की जरूरत होती है। सैन्य हुकूमत ने व्यक्तिगत सुरक्षा और स्वतंत्रता संबंधित कानूनों को समाप्त कर दिया। इससे जुड़े संविधान की धाराओं (5,7,8) को निलंबित कर दिया गया है। धारा-5 में निजता के अधिकार का प्रावधान है। धारा-7 के तहत यह प्रावधान है कि 24 घंटे से ज्यादा समय तक गिरफ्तारी पर अदालत में पेश किया जाना अनिवार्य करने का अधिकार है। धारा-8 व्यक्तिगत स्वतंत्रता से से संबंधित है। इसके तहत किसी के घर या निजी कमरे में घुसने के लिए कानूनी उपचार आवयश्क है। राजनीतिक अस्थिरता के लिए संविधान जिम्मेदार तख्तापलट से देश में भय का माहौल है। वर्ष 2011 में पांच दशकों से चले आ रहे सैन्य शासन का अंत हुआ था, लेकिन इस चुनाव में आंग सांग को चुनाव लड़ने पर रोक लगी थी। वर्ष 2015 के चुनाव में आंग सांग की पार्टी ने चुनाव में हिस्सा लिया और भारी बहुमत से जीती थीं। म्यांमार में इस राजनीतिक अस्थिरता के पीछे बड़ा योगदान म्यांमार के संविधान का है। इसके तहत संसद की सभी सीटों का एक चौथाई सीट सेना के हाथों में रहती है। देश के सबसे शक्तिशाली मंत्रालयों को नियंत्रित करने की गारंटी सेना को देता है।
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